जनसंख्या नियंत्रण पर सुशील मोदी की नसीहत, सहयोगी दल बयानबाजी नहीं गंभीरता से करें विचार

जनसंख्या नियंत्रण पर सुशील मोदी की नसीहत, सहयोगी दल बयानबाजी नहीं गंभीरता से करें विचार

PATNA : जनसंख्या नियंत्रण को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने सहयोगी दलों को बड़ी नसीहत दी है। सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जनसंख्या मुद्दे पर एनडीए के घटक दल बयानबाजी करने की बजाय गंभीरता से विचार करें। पूर्व डिप्टी सीएम के मुताबिक भारत बड़ी आबादी वाला देश है, इसलिए इस मुद्दे पर वैधानिक, प्रशासनिक और अकादमिक स्तर पर भी लगातार विमर्श चलता रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने एक बच्चे की नीति का विरोध किया है। कुछ संंगठनों की राय अलग है। 


सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एनडीए के घटक दलों को सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि मिल बैठ कर यह विचार करना चाहिए कि विकास की गति बढाने के लिए आबादी को कैसे नियंत्रित किया जाए और कैसे उसका उपयोग संसाधन के रूप में किया जाए। केंद्र और राज्य की सरकारें पहले से अपने केवल उन कर्मचारियों को एलटीसी की सुविधा और बच्चों की पढाई के लिए 1500 रुपये मासिक की सहायता दे रही हैं, जो दो बच्चों की नीति का पालन करते हैं। आयकर में छूट और जननी स्वास्थ्य योजना का लाभ भी केवल दो बच्चों वालों को मिलता है। 



बिहार में उप मुख्यमंत्री रहते हुए कभी नीतीश कुमार के यस मैन माने जाने वाले सुशील मोदी अब जनसंख्या नियंत्रण के मसले पर नीतीश कुमार के साथ खड़े नहीं दिख रहे हैं। मोदी ने दो टूक कह दिया है की जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद 2007 में नगरपालिका अधिनियम में संशोधन कर यह व्यवस्था की गई कि केवल दो बच्चे वाले व्यक्ति ही नगर निकाय का चुनाव लड़ सकेंगे। राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उडीसा में दो बच्चे वाले ही पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं। असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में सरकारी नौकरी के लिए दो बच्चों की नीति अनिवार्य की गई है। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा है कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।