PATNA : बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई के बाद बिहार की सियासत में तूफान मचा हुआ है। इस बीच आप आनंद मोहन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं।
दरअसल, पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की सगाई के बाद फिलहाल बिहार में मौजूद हैं और अब आज हुआ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। जहां इन दोनों नेताओं के बीच लगभग आधे घंटे तक बातचीत हुई है। यह बातचीत के मुद्दों को लेकर हुई है फिलहाल इस बात की जानकारी साझा नहीं की गई है। लेकिन यह उम्मीद लगाए जा रही है कि नीतीश कुमार आनंद मोहन से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा कर सकते हैं। इसके साथ ही इनके रिहाई का जो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है उसको लेकर भी बातचीत की जा सकती है। हालांकि, इस मुलाकात के बाद आनंद मोहन ने इसे महज एक औपचारिक मुलाकात बताया है। उन्होंने बताया कि, इससे पहले कल शाम उन्होंने लालू यादव से भी मुलाकात की थी।
मालूम हो कि, दबंग और बाहुबली से राजनेता बने आनंद मोहन की रिहाई हो चुकी है। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णय्या हत्याकांड में आनंद मोहन आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। 14 साल की सजा पूरी करने के बाद नीतीश कुमार की मेहरबानी से आनंद मोहन आजाद हो गए। इसके लिए नीतीश सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन कर दिया। इसके बाद अब आनंद मोहन सीएम से मिलने पहुंचे हैं।
जानकारी हो कि, जिले से निकले से पहले ही कुछ महत्वपूर्ण मौके पर आनंद मोहन पेरोल पर बाहर आते रहे हैं। आनंद मोहन सबसे पहले अपनी बेटी की सगाई और शादी के बाद बहार आए थे। उसके बाद बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई के मौके पर भी आनंद मोहन जेल से पेरोल पर बाहर आए थे। इसके बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को इन्हें जेल से हमेशा के किए आजादी दे दी गई।
आपको बताते चलें कि, आनंद मोहन की गिनती बिहार के बाहुबलियों में होती रही है. पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजायाफ्ता हैं। आनंद मोहन इस मामले में 14 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन पहले से तय नियमों के कारण उनकी रिहाई नहीं हो पा रही। सरकार ने अब जो संशोधन किया है उसके बाद उस श्रेणी को ही खत्म कर दिया गया है जिसकी वजह से कारण आनंद मोहन की रिहाई नहीं हो पा रही थी। इस नए बदलाव के पहले भी राज्य सरकार ने बिहार की रिमिशन यानी परिहार नीति के दो बड़े बदलाव किए गए थे। कारा अधिनियम में बदलाव के बाद आनंद मोहन की रिहाई की गई।