PATNA : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह आज वापसी कर सकते हैं। जगदानंद सिंह पिछले 15 दिनों से छुट्टियों पर हैं और अपने गांव में आराम कर रहे थे। हालांकि उनके छुट्टी पर जाने के पीछे और राष्ट्रीय अधिवेशन से दूरी की वजह नाराजगी बताई जा रही है लेकिन अब खबर यह है कि जगदा बाबू वापसी करने के मूड में हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक आज जगदानंद सिंह वापस से पटना पहुंचने वाले हैं। जगदानंद सिंह 2 अक्टूबर से अपने गांव में हैं। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम करते हुए जगदा बाबू कभी इतने दिनों तक पार्टी कार्यालय से दूर नहीं हुए। कोरोना काल को छोड़कर जगदानंद सिंह में कभी भी प्रदेश कार्यालय पहुंचना बंद नहीं किया लेकिन 2 अक्टूबर को जब उनके बेटे सुधाकर सिंह का मंत्री पद से इस्तीफा हुआ वह अपने गांव चले गए थे।
खत्म हुई नाराजगी?
जगदानंद सिंह ने जब प्रदेश कार्यालय आना बंद कर दिया और दिल्ली में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन से भी दूरी बना ली तो उनकी नाराजगी की चर्चाओं को और ज्यादा बल मिला। माना गया कि जगदानंद सिंह अपने बेटे सुधाकर सिंह का इस्तीफा कराए जाने से नाराज हैं, हालांकि खुद जगदा बाबू ने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने का हवाला जरूर दिया था। दिल्ली में लालू प्रसाद यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक जगदानंद सिंह का इंतजार करते रहे लेकिन वह पार्टी के खुले अधिवेशन में नहीं पहुंचे। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से जब जगदा बाबू को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने भी इसे खारिज कर दिया था देश भी ने कहा था कि नाराजगी वाली कोई बात नहीं है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और खुले अधिवेशन में जगदा बाबू के बेटे और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह जरूर शामिल हुए थे। सुधाकर सिंह ने मीसा भारती के आवास पर जाकर लालू यादव से मुलाकात भी की थी। इसके बाद उन्होंने कहा था कि लालू यादव उनके नेता हैं।
जगदा बाबू की वापसी को लेकर जो खबरें आ रही हैं अगर वह सही साबित होती हैं तो यह सवाल उठना भी लाजमी है कि अगर जगदा बाबू नाराज थे तो उनकी नाराजगी दूर कैसे हुई? जगदानंद सिंह को मनाने के लिए क्या तेजस्वी यादव ने कोई ठोस पहल की या जगदानंद सिंह खुद मौजूदा सियासत को देखकर वापस आ गए।
अब होगी दोहरी जिम्मेदारी
वापसी के बाद जगदानंद सिंह के सामने अब दोहरी चुनौती होगी। पहली चुनौती नए स्तर पर संगठन का विस्तार यानी खुले अधिवेशन के बाद प्रदेश कमेटी का गठन उन्हें करना है। इसके लिए तेजस्वी यादव और लालू यादव से संपर्क कर उन्हें कमेटी के चेहरे तय करने होंगे। जगदानंद सिंह अगर अपना कामकाज शुरू करते हैं तो इसके बाद वह इसी दिशा में आगे बढ़ेंगे। पार्टी कार्यालय पहुंचने पर मीडिया उनसे सवाल जरूर करेगी कि 15 दिनों तक आखिर उन्होंने दूरी क्यों बनाए रखी? एक तरफ जगदा बाबू के सामने पार्टी के कामकाज की चुनौती होगी तो वहीं दूसरी तरफ वह एक अंदरूनी चुनौती का भी सामना करेंगे।
जगदानंद सिंह इस बात को समझ चुके हैं कि नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी के नेतृत्व को कैसे शीशे में उतार रखा है। कैसे उनके बेटे सुधाकर सिंह को मंत्री पद से हटाया गया। नीतीश कुमार का दबाव लालू यादव और तेजस्वी यादव के ऊपर किस कदर काम कर रहा है। ऐसे में आरजेडी को मजबूत रखते हुए नीतीश के साए से कैसे दूर रखा जाए यह चुनौती भी उनके सामने होगी। क्या यह सब कुछ जगदानंद सिंह कर पाएंगे? मौजूदा परिस्थितियों में जब नीतीश कुमार के सामने लालू और तेजस्वी दोनों झुके हुए दिखाई दे रहे हैं, क्या जगदा बाबू प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उसी अंदाज में काम कर पाएंगे जैसा वह पहले करते रहे हैं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल होगा।