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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 26 Dec 2024 11:49:51 PM IST
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Indian Railways: भारतीय रेल ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को साकार करने के लिए 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को खुद पूरा करने का संकल्प लिया है। रेलवे का लक्ष्य है कि मालदा जोन में बिजली उत्पादन को 21 बिलियन यूनिट से बढ़ाकर 33 बिलियन यूनिट किया जाए और साथ ही कार्बन उत्सर्जन को शून्य किया जाए। यह पहल भारतीय रेल को दुनिया की सबसे बड़ी नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन सरकारी इकाई बनाएगी।
रेलवे की इस हरित ऊर्जा योजना से वातावरण में हर साल लगभग 35 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। इसके तहत रेलवे ट्रैक के किनारे खाली पड़ी जमीनों पर सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जाएंगे। मालदा टाउन से किऊल तक रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सर्वेक्षण किया गया है।
जमालपुर: सौर ऊर्जा का हब
रेलवे ने पूर्व रेलवे के जमालपुर क्षेत्र को सौर ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की योजना बनाई है। यहां पीपीपी मोड और कैपेक्स मोड के तहत पहले ही सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू हो चुका है।
3.7 मेगावाट सौर ऊर्जा पीपीपी मोड में उत्पादित हो रही है।
260 किलोवाट ऊर्जा कैपेक्स मोड के तहत उत्पादित की जा रही है।
500 किलोवाट का सोलर प्लांट पहले से स्थापित है।
सौर पैनलों से उत्पन्न बिजली सीधे ग्रिड में जाएगी, जो ट्रेनों को ऊर्जा आपूर्ति करेगी।
सौर ऊर्जा से चलेंगी ट्रेनें
रेलवे भविष्य में ट्रेनों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की तैयारी कर रहा है। इससे रेलवे न केवल बिजली खरीदने में करोड़ों रुपये बचाएगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर भी बनेगा। इस योजना के तहत सौर पैनल लगाने और ऊर्जा का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ने बड़े स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।
पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता का संगम
यह पहल न केवल रेलवे के परिचालन खर्च को कम करेगी, बल्कि हरित ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहित करेगी। भारतीय रेल की यह परियोजना देश के अन्य सरकारी संस्थानों के लिए आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
"2030 तक भारतीय रेल ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में दुनिया के लिए एक मिसाल पेश करेगा," रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का यह बयान रेलवे की इस पहल की महत्ता को रेखांकित करता है।