हाईकोर्ट ने मांगा जवाब तो हुआ खुलासा: सिर्फ दो सरकारी अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैं

हाईकोर्ट ने मांगा जवाब तो हुआ खुलासा: सिर्फ दो सरकारी अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैं

 PATNA: बिहार में सरकारी स्कूलों की बदहाली से नाराज हाईकोर्ट ने सवाल पूछा है कि कितने सरकारी अधिकारियों के बच्चे सरकार के स्कूल में पढ़ते हैंहाईकोर्ट कड़ी फटकार के बाद सरकार ने सभी जिलों को पत्र लिख कर ये जानकारी देने को कहा है कि किन अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैंइस रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैंएक जिले की रिपोर्ट आय़ी हैसिर्फ दो सरकारी अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैं



सिवान जिले में हुआ खुलासा

राज्य सरकार से पत्र मिलने के बाद सिवान जिला प्रशासन ने पहले अलग-अलग विभागों में तैनात सरकारी अधिकारियों की सूची तैयार की औऱ फिर ये पता लगाया कि उनके बच्चे कहां पढ रहे हैंसिवान जिले में विभिन्न विभागों में 223 अफसर पोस्टेड हैंइनमें से सिर्फ दो अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैंबाकी 221 अपने बच्चों को निजी स्कूल या कॉलेज में पढ़ा रहे हैं.


सिवान जिला प्रशासन से जुड़े सूत्र के मुताबिक राज्य सरकार को जिला प्रशासन ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें खुलासा हुआ है.  जिला प्रशासन द्वारा भेजी गयी रिपेार्ट के मुताबिक सिवान में पदस्थापित एक पशु चिकित्सक ने जानकारी दी है कि उनकी बेटी सरकारी स्कूल में पढती हैउनकी बेटी बगल के गोपालगंज जिले में रहती है औऱ वहीं एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है. जिला प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक बड़हरिया प्रखंड के जामो में पोस्टेड पशु चिकित्सक जयशंकर प्रसाद की बेटी प्रेयसी गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुटन टोला में वर्ग तीन में पढ़ती है


जिला प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य अधिकारी ने भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढाने की जानकारी दी हैसिवान आईटीआई के प्रिंसिपल राजकुमार ठाकुर ने जानकारी दी है कि उनका एक बेटा सरकारी स्कूल में पढता है.



सरकारी व्यवस्था की पोल खुली

सिवान जिले की रिपोर्ट ने सूबे में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था की पोल खोल दी हैनीतीश सरकार ये दावा करती रही है कि पिछले 15-16 सालों में बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार हुआ हैलेकिन हकीकत सामने आ रही हैराज्य सरकार के अधिकारी ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढाने को तैयार नहीं हैंअगर सरकारी अधिकारियों के बच्चे ही सरकारी स्कूल में नहीं पढेंगे तो वे सरकारी शिक्षा व्यवस्था को क्या जानेंगे