RANCHI: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा को जल्द की खत्म करेंगे. यह फैसला एक फोटो वायरल होने के बाद हेमंत ने लिया हैं. जिसमें वह चप्पल पर ही गार्ड ऑफ ऑनर ले रहे थे. हेमंत ने कहा कि चप्पल जूतों का रिवाज अंग्रेजों द्वारा बनायी गयी दकियानूसी परम्परा है जिसे मैं नहीं मानता.
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फोटो वायरल होने के बाद हेमंत ने लिखा
हेमंत ने लिखा कि ‘’इस तस्वीर को जहां कुछ लोग मेरी सादगी से जोड़ रहे हैं तो वहीं इक्का दुक्का लोग मुझे यह भी बता रहे हैं की चप्पल पहन मैंने गार्ड ऑफ ऑनर ले परम्परा का पालन नहीं किया.सच्चाई यह है कि पुलिस के जवान भाई मेरे इंतेजार में बारिश में काफी पहले से खड़े कर दिए गए थे. इसलिए मैं जिस रूप में था. सबसे पहले उनका सम्मान कर उन्हें मुक्त करना आवश्यक था और दूसरी बात की चप्पल जूतों का रिवाज अंग्रेजों द्वारा बनायी गयी दकियानूसी परम्परा है जिसे मैं नहीं मानता. पिछली शासन द्वारा मुख्यमंत्री के हर दौरे पर दिया जाने वाली इस परम्परा को मैं जल्द से जल्द समाप्त करने को संकल्पित हूं ताकि हमारे पुलिसकर्मी वीआईपी रूढ़िवादिता में समय व्यर्थ करने की जगह वो समय जनता की सेवा में लगा सकें.’’
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कई बड़े फैसले लिए
हेमंत ने 29 दिसंबर को झारखंड के दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी. शपथ लेने के बाद पहले ही दिन बैठक कर कई बड़े फैसले झारखंड को लेकर किए थे. जिसकी जमकर तारीफ भी झारखंड के लोग कर रहे हैं. इसमें खास बात थी कि पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान जिन हजारों लोगों पर केस दर्ज था. उनको वापस लेने का आदेश दिया था. यही नहीं झारखंड में कई सालों से आंदोलन कर रहे पारा शिक्षक और आंगनबाड़ी सेविकाओं के बकाए पैसे का जल्द भुगतान करने का निर्देश भी दिया था. नए साल के मौके पर हेमंत ने खरसावां में गोली कांड में शहीद जवानों को श्रद्दांजलि देने के बाद कहा था कि खरसावां गोली कांड में शहीदों के आश्रितों को नौकरी और पेंशन देंगे.