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हेमंत सरकार पर बरसे नीतीश, भोजपुरी-मगही विवाद पर बोले.. इस सबसे उनका ही नुकसान होगा

1st Bihar Published by: Updated Sat, 19 Feb 2022 01:39:36 PM IST

हेमंत सरकार पर बरसे नीतीश, भोजपुरी-मगही विवाद पर बोले.. इस सबसे उनका ही नुकसान होगा

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DELHI : भोजपुरी और मगही भाषा को क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट से बाहर किए जाने के बाद झारखंड के साथ-साथ बिहार की भी राजनीति गरमाई हुई है. सरकार के इस फैसले से भोजपुरी और मगही बोलने वालों में खाता नाराजगी है. और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हेमंत सरकार के फैसले पर सख्त ऐतराज जताया है. सीएम नीतीश ने कहा है कि एक परिवार की तरह दोनों राज्य, भले ही अलग होकर झारखंड का गठन हुआ. झारखंड के अंदर भोजपुरी और मगही ही बोलने वाले लोगों की बड़ी तादाद है. बिहार में भी यही बात लागू होती है लेकिन पता नहीं झारखंड सरकार क्यों इस तरह का फैसला कर रही है.


सीएम नीतीश ने कहा है कि बिहार और झारखंड की सीमा से सटे अलग-अलग इलाकों में मगही और भोजपुरी बोली जाती है. भोजपुरी बोलने वाले लोगों की तादाद कहीं ज्यादा है बगही भी झारखंड में बोली जाती है. और यूपी से लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में भोजपुरी बोलने वाले लोग हैं. पता नहीं हेमंत सरकार किस तरह का फैसला कर रही है नीतीश कुमार ने कहा कि इस फैसले से झारखंड की सरकार को खुद नुकसान होगा.


बता दें झारखंड में क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट से भोजपुरी और मगही को बाहर कर दिया गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस से इस मामले को लेकर क्षेत्रीय राजनीति कर रही है. और इन्हीं दोनों पार्टियों के दबाव के बाद भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. झारखंड की सरकार ने राज्य कर्मचारी आयोग की तरफ से ली जाने वाली मैट्रिक और इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं में इन दोनों भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की लिस्ट से बाहर कर दिया है. पहले धनबाद और बोकारो में भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया था. इस मामले को लेकर लगातार झारखंड में विवाद देखने को मिल रहा था। शुक्रवार की देर रात कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस फैसले से जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी. राज्य के बाकी 22 जिलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है.


आपको बता दें कि इस शुक्रवार की शाम कई दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. नेताओं का कहना था कि रांची और जमशेदपुर में भोजपुरी और मगही बोलने वाले लोग हैं लेकिन यहां क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट में भोजपुरी और मगही को नहीं रखा गया है. धनबाद और बोकारो में इसे शामिल करने पर विवाद बढ़ रहा है, इसपर तत्काल रोक लगनी चाहिए. अब भोजपुरी और मगही को लेकर झारखंड में नए सिरे से विवाद गहरा सकता है.