Bihar tourism 2025 : : अब बिहार के इस जिले में भी ले सेकेंगे रोपवे का मजा, इस मंदिर तक पहुंच सकेंगे पर्यटक और श्रद्धालु Bihar election 2025 : 'अनंत सिंह,सूरजभान और सम्राट को वोट देने से अच्छा है चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना...', बोले आरके सिंह- अपराधी और भ्रष्ट नेताओं से बनाए दूरी Special Trains Today: आज यात्रा करने वालों के पास कई विशेष ट्रेनों का विकल्प, इन राज्यों तक सफर करने में होगी आसानी Bihar Assembly Election 2025 : महागठबंधन में घमासान ! 143 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी RJD, अंतिम दिन जारी हुई पूरी लिस्ट; कांग्रेस और वाम दलों से बन गई बात ? Bihar election 2025 : तेज प्रताप यादव के नामांकन जुलूस में प्राइवेट गाड़ी पर पुलिस स्टीकर, दो गिरफ्तार; चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज Success story: पहले अटेंप्ट में UPSC पास, IPS बनी और फिल्मों में छाई; जानिए सिमाला प्रसाद की कहानी Gaya shooting : गया में दिनदहाड़े गोलीकांड, बाइक सवार अपराधियों ने ताबड़तोड़ बरसाई गोलियां; एक की मौत Bihar Assembly Election 2025 : NDA से अधिक महागठबंधन दिखा रही युवाओं पर भरोसा, इन सीटों पर 70 पार वाले मैदान में; देखिए पूरी लिस्ट Diwali Firecrackers : दीपावली की रात कबाड़ी की दुकान में भीषण आग, पटाखों की चिंगारी से लाखों का नुकसान Bihar Assembly Election 2025 : चिराग पासवान का बड़ा खुलासा,कहा - इस वजह से 2020 में CM नीतीश के खिलाफ दिया था कैंडिडेट,BJP को लेकर भी कही यह बात
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 26 Dec 2024 09:39:05 PM IST
- फ़ोटो
Wedding Rituals: सनातन धर्म में मंत्रोच्चार का विशेष महत्व है। हर रस्म के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं, लेकिन विवाह के दौरान किए जाने वाले गोत्र अध्याय मंत्र का स्थान सबसे प्रमुख है। यह मंत्र वर-वधू के पूर्वजों का आवाहन करता है और उनकी आशीर्वाद से विवाह संस्कार को संपन्न करता है।
क्या है गोत्र अध्याय मंत्र?
शादी में गोत्र अध्याय के अंतर्गत वर-वधू के पूर्वजों का आह्वान किया जाता है। यह मंत्र कुछ इस प्रकार है:
"शक्ति वशिष्ठ प्ररासरेति प्रवरश्य अमुख (व्यक्ति का नाम) तृ श्रमण: प्रपोत्राय।"
इस मंत्र का अर्थ यह है कि वर और वधू के चार पीढ़ी पहले के परम पितामह से लेकर पिता तक और फिर खुद उनके नाम का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्र वर और वधू के नाम के साथ उनके गोत्र और पूर्वजों के नामों को जोड़कर पढ़ा जाता है। इसी मंत्रोच्चार के साथ कन्यादान की पवित्र प्रक्रिया पूरी होती है।
गोत्र अध्याय का महत्व
मिथिला में विवाह रस्मों में गोत्र अध्याय को सबसे पवित्र और विशेष माना गया है। यह विवाह संस्कार का मूल आधार है। इसके बिना विवाह को पूर्ण नहीं माना जाता।
पूर्वजों का आह्वान: वेदी पर वर और वधू के पूर्वजों (देव-पितर) का आवाहन किया जाता है।
शुभ आशीर्वाद: खुले आसमान के नीचे मंत्रोच्चार करके पूर्वजों से आशीर्वाद लिया जाता है।
कन्यादान की पवित्रता: गोत्र अध्याय के मंत्रों के साथ वर और वधू के परिवार एकजुट होकर विवाह को शुभ बनाते हैं।
मैथिल परंपरा में गोत्र अध्याय
मिथिला की शादी में यह परंपरा खासतौर पर निभाई जाती है।
धान कूटने की रस्म: बारात के आगमन पर आठ पुरुष वर के साथ उखल-समाठ पर धान कूटते हैं। यह रस्म भी मंत्रों के साथ की जाती है।
कन्यादान: गोत्र अध्याय के बाद तीन बार इस मंत्र को दोहराकर कन्यादान होता है।
शादी की पूर्णता: जब तक गोत्र अध्याय के साथ पूर्वजों का आवाहन नहीं किया जाता, शादी को शास्त्रों के अनुसार पूर्ण नहीं माना जाता।
पवित्रता और पारंपरिक महत्व
गिरिधर झा, जो इस परंपरा के विशेषज्ञ हैं, बताते हैं कि विवाह की विधियां तब तक अधूरी रहती हैं जब तक गोत्र अध्याय के मंत्रों के साथ पूर्वजों का आह्वान नहीं किया जाता। मैथिल ब्राह्मणों में यह रस्म हर विवाह का अभिन्न हिस्सा है और यह परंपरा पीढ़ियों से निभाई जा रही है। गोत्र अध्याय केवल एक रस्म नहीं, बल्कि सनातन धर्म और मिथिला की गहरी आध्यात्मिकता और पूर्वजों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।