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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 06 Nov 2024 06:05:36 AM IST
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PATNA : अपने गानों के जरिए छठ महापर्व की महिमा बताने वाली महशूर लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। वह 72 साल की थीं। वह पिछले 11 दिनों से एम्स में भर्ती थीं। शारदा सिन्हा कैंसर से जंग लड़ रही थीं लेकिन पति ब्रजकिशोर सिन्हा की मौत के बाद से टूट गई थीं। इसके बाद यह खबर सामने आई।
शारदा सिन्हा पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित थी। वह भोजपुरी और मैथिली लोकगीत, गजल, फिल्मी गीतों और अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती हैं। उनके गाए शादी के गीत और छठ के गीत बिहार से लेकर अन्य प्रदेशों में भी लोकप्रिय और कर्णप्रिय रहे हैं। अपनी मधुर आवाज की वजह से उन्हें बिहार की स्वर कोकिला और मिथिला की बेगम अख्तर कहा जाता था। उन्हें बिहार की लता मंगेशकर उपनाम भी दिया गया था। लेकिन आपको मालूम है कि इन्होने पहला गाना कब गाया था।
एक इंटरव्यू में शारदा सिन्हा ने कहा था कि उनकी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा परिवार में ही हुई थी। उन्होंने बताया था कि उन्होंने पहला गीत अपने बड़े भाई की शादी में दुआर छेकाई के मौके पर गाया था। इसमें उनकी नई-नवेली भाभी ने भी मदद की थी और सिखाया था कि दुआर छेकाई का गीत कैसे गाया जाता है। इस गाने को एचएमवी ने रिकॉर्ड किया था। वह गाना था- दुआर के छेकाई में पहले चुकैया ओ दुलरुआ भैया, तब जइहा कोहवर अपन, हे दुलरुआ भइया.... ससुर के कमाई दिहा, बहिने के दियौ यौ दुलरुआ भइया, तब दीहा अपन कमाई, हे दुलरुआ भइया।
मालूम हो कि शारदा सिन्हा ने बताया था कि जब वह गांव के स्कूल में पढ़ती थीं, तब दुर्गा पूजा के कार्यक्रम में अपने पिता के साथ गई थीं, जहां उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर मंच से गीत गाया था। इस पर बड़ा बवाल मचा था। गांव वालों और परिजनों ने तब शारदा की खूब आलोचना की थी। उन्होंने बताया कि जब उनकी शादी हुई तो उनकी सास ने भी उनके गाने और संगीत सफर का विरोध किया था और तीन-चार दिनों तक विरोध में खाना नहीं खाया था। जबकि उनके ससुर ने ससुराल में मंदिर में भजन गाने के लिए प्रेरित किया था। इस पर भी सास नाराज हो गई थीं। शारदा सिन्हा के मुताबिक 1971 में उनका पहला गाना रिकॉर्ड किया गया था। शारदा सिन्हा ने बताया कि उन्होंने मणिपुर नृत्य भी सीखा था।
बता दें कि शारदा सिन्हा ने न सिर्फ मैथिली, बज्जिका, भोजपुरी में अपनी आवाज से पहचान बनाया था बल्कि हिन्दी गीत भी गाये थे। उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी मधुर आवाज दी थी। संगीत जगत में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था। शारदा सिन्हा के छठ महापर्व पर सुरीली आवाज में गाए मधुर गाने बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी भागों में गूंजा करते हैं।