DELHI : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फर्जी तरीके से न सिर्फ खुद जेडीयू के अध्यक्ष बन गये थे बल्कि बाद में ललन सिंह को भी गलत तरीके से पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यही आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने याचिका दायर होने के बाद चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में ये याचिका जेडीयू के नेता गोविंद यादव ने दायर किया है. जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर असंवैधानिक निर्वाचन के आरोपों से संबंधित याचिका दायर होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च 2023 को निर्धारित की गयी है.
याचिका दायर करने वाले जेडीयू नेता गोविंद यादव ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार 2016 में जनता दल (यू) की राष्ट्रीय कार्यसमिति फर्जी तरीके से पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बन गये. उन्होंने 2019 में भी पार्टी के संविधान का पालन नहीं किया और आरसीपी सिंह को अध्यक्ष घोषित करा लिया. गोविंद यादव ने कहा है कि न सिर्फ नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह बल्कि 2022 में ललन सिंह का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर निर्वाचन भी अवैध है.
गोविंद यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक हर पार्टी में अध्यक्ष के निर्वाचन की एक प्रक्रिया होती है. जेडीयू में उस प्रक्रिया का पालन किये बगैर अध्यक्ष चुन लिया जा रहा है. यह असंवैधानिक है. इसके खिलाफ गोविंद यादव ने चुनाव आयोग में याचिका दायर की थी. उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय में जनता (यू) नेता गोविन्द यादव ने याचिका संख्या W.P. (C) 2137/2023 दायर की है. इसमें जनता दल (यू). के पूर्व अध्यक्ष नीतीश कुमार, राज्यसभा सांसद और जेडीयू के निर्वाचन पदाधिकारी अनिल हेगडे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष आर.सी.पी. सिंह और मौजूदा अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के साथ साथ अफाक अहमद, जावेद रजा, अरूण कुमार श्रीवास्तव सहित कुल 10 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में भारत सरकार औऱ चुनाव आयोग को भी पार्टी बनाया गया है.
याचिका में कहा गया है कि चूंकि जनता दल (यू) ने 2016, 2019, 2022 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन में संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया इसलिए पूरे चुनावी प्रक्रिया को निरस्त कर पुनः जनता दल (यू) के संविधान अनुसार चुनाव कराया जाये. 17 फरवरी को इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता जनता दल (यू) नेता गोविंद यादव का पक्ष अधिवक्ता पाठक राकेश कौशिक ने रखा. याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को सुनवाई की अगली तारीख पर अपना पक्ष रखने के लिए निर्देश जारी किया है.