DELHI : दिल्ली विधानसभा चुनावों का एलान हो चुका है। 8 फरवरी को दिल्ली मे वोटिंग होगी वहीं 11 फरवरी को नतीजे आ जाएंगे। देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव हमेशा ही दिलचस्प होता है। यहां से निकले जनादेश का संदेश पूरे देश में जाता है। दिल्ली में करीब डेढ़ करोड़ वोटर हैं जो राज्य सरकार की किस्मत का फैसला करेंगे।
2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। आम आदमी पार्टी ने 2015 विधानसभा चुनाव में 70 में से 67, बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।
2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। आम आदमी पार्टी ने 2015 विधानसभा चुनाव में 70 में से 67, बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। हाल ही में अनाधिकृत कॉलोनियों को मोदी सरकार ने पक्का किया है, जिसे बीजेपी भुनाना चाहेगी। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीती थीं। कांग्रेस पार्टी ने 2015 में खाता भी नहीं खोला था, ऐसे में इस चुनाव में उसकी कोशिश कुछ सीटें जीतने की होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह तक दिल्ली में रैलियां कर चुके हैं। वहीं, कांग्रेस अपना सियासी वजूद बचाने और अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने की कवायद में जुटी है। बता दें कि दिल्ली में पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तब बीजेपी जीतकर सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन पांच साल के कार्यकाल में बीजेपी को अपने तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। मदनलाल खुराना, साहेब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे।
इसके बाद 1998 में विधानसभा चुनाव हुए और तब शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी को सत्ता से विदा होना पड़ा, जिसके बाद पार्टी आजतक वापसी नहीं कर सकी है। साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी महज 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी जबकि 67 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली थीं। इस चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।