DGP साहब.. आपका ये थानेदार तो सुप्रीम कोर्ट को भी ठेंगे पर रखता है, जमीन विवाद के मामलों में गजब की दिलचस्पी

DGP साहब.. आपका ये थानेदार तो सुप्रीम कोर्ट को भी ठेंगे पर रखता है, जमीन विवाद के मामलों में गजब की दिलचस्पी

PATNA : सुशासन की पुलिस को पहले से और ज्यादा स्मार्ट बनाने के लिए राज्य के डीजीपी एसके सिंघल लगातार बैठकें कर रहे हैं। मंगलवार को डीजीपी ने पटना में बेहतर पुलिसिंग के लिए हाई लेवल मीटिंग की थी। बैठक में साल 2047 तक बिहार पुलिस को स्मार्ट बनाने के लिए विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने की बात हुई है। एक तरफ राज्य के डीजीपी जहां क्राइम कंट्रोल समेत बेहतर पुलिसिंग के लिए विजन डाक्यूमेंट बनाने में जुटे हुए हैं, वहीं राज्य के अंदर ऐसे थानेदार भी हैं जो क्राइम कंट्रोल से ज्यादा दिलचस्पी जमीन विवाद से जुड़े मामलों में दिखाते हैं।


हद तो यह है कि जमीन विवाद से जुड़े मामलों में अपनी दिलचस्पी के दौरान ऐसे थानेदार सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं करते। बक्सर नगर थाने के थानेदार दिनेश मालाकार का नाम आजकल ऐसी ही वजहों से सुर्खियों में है। जमीन विवाद से जुड़े मामलों में बक्सर नगर थाना के थानेदार कोर्ट के आदेश की परवाह किए बगैर पुलिसिया एक्शन ले रहे हैं और उन्हें इस बात की परवाह भी नहीं दिखती की ऐसे मामलों में न्यायालय के रुख का सम्मान किया जाना चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं 

जमीन विवाद से जुड़े मामले में पुलिस एक्शन लेते वक्त सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं किए जाने का आरोप बक्सर नगर थाने के थानेदार दिनेश मालाकार के ऊपर इसी साल मार्च महीने में लगा था। बक्सर मेन रोड स्थित एक जमीन और मकान की खरीद–बिक्री के विवाद में जब सुप्रीम कोर्ट से एक पक्ष को जीत मिल गई उसके बावजूद पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। 


बक्सर नगर थाने के थानेदार दिनेश मालाकार के ऊपर आरोप लगाया कि उन्होंने दूसरे पक्ष को मदद पहुंचाने के लिए जमीन का मालिकाना हक रखने वाली एक महिला को डराया–धमकाया। महिला ने मीडिया के सामने आकर दिनेश मालाकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे। यह मामला बक्सर के एसपी तक पहुंचा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर एक्शन लेने वाले दिनेश मालाकार के ऊपर जिला पुलिस कप्तान में कोई संज्ञान नहीं लिया।


मतलब यह कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिहार के एक थानेदार के लिए कोई मायने नहीं रखता। थानेदार दिनेश मालाकार के ऊपर एक बार फिर इसी तरह का आरोप लगा है। जमीन विवाद से जुड़े एक नए मामले में थानेदार ने इसी तरह की कार्रवाई कराई है। पिछले दिनों नालबंद टोली के रहने वाले एक शख्स ने आरोप लगाया कि एसडीओ कोर्ट में जमीन विवाद से जुड़ा मामला लंबित होने के बावजूद पुलिस ने विवादित जमीन की दीवार को अपने सामने गिरने दिया। पुलिस की मौजुदगी में दूसरे पक्ष ने जमीन की दीवार को गिराया जबकि मामला कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में भी आरोप थानेदार दिनेश मालाकार के ऊपर लगे लेकिन फिर एकबार बक्सर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में संज्ञान नहीं लिया है।


थानेदार का विवादों से पुराना रिश्ता

जिले में इस वक्त बक्सर नगर थाने के थानेदार दिनेश मालाकार की चर्चा इन्हीं वजहों से ज्यादा हो रही है  लोग यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट से लेकर स्थानीय कोर्ट तक के मामलों में पुलिस मनमानी करती नजर आ रही है तो नगर थानेदार के खिलाफ जिले के पुलिस अधीक्षक कोई संज्ञान क्यों नहीं ले रहे? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर थानेदार की तरफ से की गई कार्रवाई को पुलिस कप्तान सही मानते हैं? 


दिनेश मालाकार के ऊपर पिछले दिनों एससी–एसटी एक्ट के तहत एक मामला भी दर्ज हुआ था  इस मामले में भी जांच चल रही है। मालाकार का विवादों से पुराना रिश्ता भी रहा है। नालंदा में तैनात रहते हुए दिनेश मालाकार का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। ऑडियो में दिनेश मालाकार और एक लड़की के बीच बातचीत वायरल हुई थी, तब लड़की के साथ उनके संबंधों को लेकर खबरें सामने आई थीं। उस वक्त दिनेश मालाकार नालंदा के एकंगरसराय थाने में तैनात थे। 


कोर्ट के आदेश की परवाह किए बगैर थानेदार जिस तरह काम कर रहे हैं उसे लेकर यह सवाल उठना भी लाजमी है कि क्या वाकई बिहार के डीजीपी को इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके ही निचले अधिकारी कैसे काम कर रहे हैं! क्या एक थानेदार को उन्होंने इतना अधिकार दे दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी परवाह ना करे? सवाल कई हैं लेकिन अब तक बक्सर के नगर थानेदार से जुड़े मामलों में वरीय अधिकारी तो कान में तेल डालकर सोए हुए ही नजर आ रहे हैं।