BHOPAL: चीन, फिलीपींस, यूक्रेन, रूस, जापान और किर्गिस्तान जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई राष्ट्रभाषा में होगी। भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है। मध्यप्रदेश में MBBS की पढ़ाई हिन्दी में शुरू होने जा रही है। भोपाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को मेडिकल की 3 किताबों का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में होगी। इसकी शुरुआत कर एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीएम नरेंद्र मोदी की इच्छा पूरी की है। बता दें कि देश के 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में हो रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देशभर मं 8 भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई हो रही है। आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है जो अब हमें अपनी भाषा में शिक्षा मिलेगी। आज से नई शुरुआत हो रही है। इसके लिए हिन्दी प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। अमित शाह ने नेल्सन मंडेला बातों को याद दिलाते हुए कहा कि मंडेला यह कहते थे कि किसी व्यक्ति को यदि उसकी भाषा में बात करते है तो वह बात उसके दिमाग में आसानी से जाता है।
यदि अपनी भाषा में ही अनुसंधान हो तो भारतीय युवा किसी से कम नहीं। वे वर्ल्ड में इंडिया का डंका बजा देंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने का मन बनाया है इससे देश में बड़ी क्रांति आएगी। मेडिकल के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी में ही होगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा- सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है, इसलिए नेल्सन मंडेला ने कहा था- यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हो तो वह उसके दिमाग में जाता है। अनुसंधान अपनी भाषा में हो तो भारत के युवा भी किसी से कम नहीं हैं। वो विश्व में भारत का डंका बजाकर आएंगे।
मध्यप्रदेश ने मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने संकल्प लिया है। इससे देश में क्रांति आएगी। मेडिकल के बाद अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी में होगी। छह महीने बाद पॉलीटेक्निक और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी में करने का मौका मिलेगा। अभी इस पर काम चल रहा है। सिलेबस का अनुवाद किया जा रहा है।
वहीं मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। अब बच्चे हिन्दी में मेडिकल की पढाई कर सकेंगे और डॉक्टर बनेंगे। अंग्रेजी ठीक नहीं रहने के कारण छात्रों को मेडिकल में परेशानी होती है। कई छात्रों ने तो पढ़ाई छोड़ दी या फिर आत्महत्या तक पहुंच गये। इन छात्रों की परेशानियों को ध्यान में रखकर ऐसा किया गया है।
अब हिन्दी भाषी बच्चे भी मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं और डॉक्टर बनकर अपना भविष्य बना सकते हैं। शिवराज चौहान आगे कहते हैं कि जो काम आज हमने किया वो का आजादी के बाद ही हो जाना चाहिए था। अंग्रेज भारत छोड़कर चले गये लेकिन हमें अंग्रेजी का गुलाम बना गये।