CPI से नाराज AISF की बड़ी घोषणा, 14 सीटों पर उतारे उम्मीदवार

CPI से नाराज AISF की बड़ी घोषणा, 14 सीटों पर उतारे उम्मीदवार

PATNA : विधानसभा चुनाव का आगाज हो चूका है. कई पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है. इधर सीपीआई ने भी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. लेकिन सीपीआई की छात्र इकाई AISF में पार्टी के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. इसी के मद्देनजर अब AISF ने चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है. 


पटना विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए AISF अपने 14 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की.  टेकारी से एआईएसएफ के राज्य सह सचिव कुमार जितेन्द्र, सीवान से एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार, महनार से एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित, फुलवारी से एआईएसएफ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य महेश रजक, महुआ से एआईएसएफ की राष्ट्रीय परिषद सदस्य पिंकी कुमारी और मोहिउद्दीननगर विधानसभा सीट से एआईएसएफ के समस्तीपुर जिलाध्यक्ष सुधीर कुमार राय चुनाव लड़ेंगे.


इसी तरह मनेर से एआईएसएफ के पटना जिलासचिव जन्मेजय कुमार, केसरिया से एआईएसएफ के पूर्वी चंपारण जिला संयोजक धनंजय सिंह, जाले से एआईएसएफ के मिथिला विश्विद्यालय सहसंयोजक मो. अरशद सिद्दीकी, अमनौर से एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष राहुल कुमार यादव, छपरा से एआईएसएफ के राज्यपरिषद सदस्य अमित नयन, मीनापुर से एआईएसएफ नेता आदित्य प्रकाश, डिहरी से एआईएसएफ नेता धर्मेन्द्र कुमार सिंह और फुलपरास विधानसभा सीट से युवा नेता देवशंकर यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. 


AISF से उम्मीदवार बने हैं सभी छात्र नेता 25 से 40 साल के बीच के हैं. दरअसल, सीपीआई के प्रति AISF नेताओं में नाराजगी इस बात को लेकर है कि पार्टी ने टिकट बंटवारे में छात्र और युवाओं को टिकट नहीं दिया और सिर्फ पुराने लोगों को ही उम्मीदवार बनाया है. इस बात को लेकर AISF ने सीपीआई कार्यालय में प्रदर्शन भी किया था लेकिन मामले पर कोई पहल नहीं होता देख उन्होंने आलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. 


एआईएसएफ का कहना है कि भाजपा-जदयू को बिहार की सत्ता से बेदखल करने की जिम्मेदारी बिहार की जनता की है. महागठबंधन को भी चाहिए कि हर सीट पर जदयू-भाजपा का खाता न खुल पाये. इसके लिए एकजुटता के साथ प्रयास करें. छात्र-युवाओं को सम्मानजनक भागीदारी के बिना कोई भी लड़ाई अधूरी होगी. पार्टी ने युवाओं को दरकिनार किया तो एआईएसएफ को अलग से चुनाव लड़ने का फैसला लेना पड़ा.