DESK : एक तरफ कोरोना वाॉरियर्स का हर जगह सम्मान हो रहा है, तो वहीं मेघायय में कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार भी करने से लोगों ने रोक दिया,.
लंबे विवाद के बाद आखिरकार मेघालय में कोरोना से मरनेवाले पहले मरीज का अंतिम संस्कार पूरा हुआ. डॉक्टर जॉन एल सायलो शिलॉन्ग के बीथेनी हॉस्पिटल के डायरेक्टर थे और वे लगातार मरीजो के इलाज में जुटे थे. सोमवार को ही वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और मंगलवार की देर रात 2 बजे उनकी मौत हो गई थी. डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार बुधवार को जब उनका शव जलाया जाना था तो शमशान के आसपास रहनेवाले लोग घरों से बाहर निकल आए और विरोध करने लगे. लोगों को मानना था कि शव जलाने से उन्हें भी संक्रमण हो जाएगा. जिसके बाद शव को जलाने से रोक दिया. जिसके बार विवादों के बीच उन्हें म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों ने उन्हें ईसाईयों के कब्रिस्तान में दफनाया.
बताया जा रहा है कि सायलो 69 साल के थे और वे अस्थमा और डायबिटीज के मरीज थे. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि उन्हें कोरोना का संक्रमण अपने दामाद से हुआ था. उनके दामाद पायलट हैं और वे न्यूयॉर्क में फंसे भारतीयों को लेकर आए थे. सायलों के परिवार के 6 लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जिनका इलाज चल रहा है. वहीं सायलो का संक्रमण का सोर्स पता करने 2000 लोगों की लिस्ट बनाई है और उनके टेस्ट किए जा रहे हैं.