PATNA : कोरोना के खिलाफ लड़ाई को लेकर बिहार सरकार की तरफ से अब तक किए जा रहे सभी दावों की असलियत सामने आ गई है। कोरोना संक्रमण के हालात का जायजा लेने पहुंची केंद्रीय टीम ने बिहार मॉडल में कई खामियां बताई हैं। केंद्रीय टीम रविवार को पटना पहुंची थी और आज वह गया दौरे पर है। इस दौरान केंद्रीय टीम ने पटना के कंटेनमेंट जोन का मुआयना किया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ हुई लंबी बैठक के दौरान केंद्रीय टीम ने बिहार में कोरोना से मुकाबले के लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर फीडबैक लिया। इस दौरान राज्य के स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों ने केंद्रीय टीम को जो जानकारी उस पर सेंट्रल टीम ने संतुष्टि नहीं जताई है। सूत्रों की माने तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेट्री लव अग्रवाल के नेतृत्व में आई केंद्रीय टीम ने राज्य के अधिकारियों को साफ तौर पर कह दिया है कि कोरोना संक्रमण से मुकाबले के लिए जिस मॉडल पर बिहार आगे बढ़ रहा है वह उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं देगा। मुंबई और दिल्ली मॉडल को अपनाने का सुझाव केंद्रीय टीम ने दिया है।
बिहार में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार को लेकर केंद्रीय टीम ने नाराजगी जताई है। सेंट्रल टीम का स्पष्ट तौर पर मानना है कि बिहार में T4 फैक्टर के साथ ही कोरोना से मुकाबला किया जा सकता है। इसके लिए ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग पर फोकस करने की जरूरत है। केंद्रीय टीम ने बिहार के अधिकारियों को यह बताया है कि अभी भले ही राज्य में कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति नहीं हो लेकिन ऐसा दौर आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा लिहाजा अभी सही सावधान हो जाने की जरूरत है। कोरोना के संदिग्धों और संक्रमित लोगों की पहचान करना उनके चेन को कट करने से ही इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है। सेंट्रल टीम ने कोरोना से लड़ाई के लिए पूरी प्लानिंग के साथ अभी से आगे बढ़ने की जरूरत बताई है। केंद्रीय टीम आज गया दौरे पर है और वहां अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के साथ-साथ कंटेनमेंट जोन का भी निरीक्षण करेगी।