ARARIA: कोरोना का कहर पूरे देश में जारी है। बिहार में भी संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन इस महामारी से लोगों की मौतें हो रही है। वही कई लोग इसके चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं। विपदा की इस घड़ी में मानवीय संवेदना भी शून्य होती नजर आ रही है। फारबिसगंज की यह घटना इसका उदाहरण है। दरअसल कोरोना से महिला की मौत के बाद दो दिनों तक घऱ में शव यूं ही पड़ा रहा लेकिन अंतिम संस्कार के लिए परिजन सामने नहीं आए। तब सामाजिक कार्यकर्ता की पहल पर इस बात की सूचना पुलिस को दी गयी। जिसके बाद महिला की लाश को जेसीबी के जरीए उठवाया गया फिर उसका अंतिम संस्कार कराया गया।
कोरोना मरीज की मौत के बाद समाज के अलावे खुद परिवार अब मुंह मोड़ने लगे हैं। लोगों को अपनी जान की चिंता इस कदर है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज का शव पिछले दो दिनों से घर में पड़ा रहा लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य महिला के अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आया। यह घटना फारबिसगंज के जुम्मन चौक की है। जहां कमल कुमार की पत्नी राधा देवी कई दिनों से कोरोना से संक्रमित थी और घर में ही रहकर अपना इलाज करवा रही थी। इसी क्रम में दो दिन पूर्व उनकी मौत हो गयी।
पत्नी की मौत के बाद पति समेत घर के लोगों ने कोरोना की डर से उसका अंतिम संस्कार तक नहीं किया। घर में चार बेटियां और एक मासूम बेटा भी रह रहा था। जब परिवार ने अंतिम संस्कार से मना कर दिया तब मृतका की बेटियों ने समाज के लोगों से गुहार लगाई लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
दो दिनों से लाश घर में रहने की वजह से बदबू आने लगी थी। घर में पड़ी लाश से बदबू पर सामाजिक कार्यकर्ता डिम्पल चौधरी ने इस बात की जानकारी पुलिस और प्रशासन को दी। जिसके बाद वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने जेसीबी के साथ कर्मचारियों को भेजा। नगर परिषद के कर्मचारियों ने पीपीई किट पहनकर शव को उठाया और उसे जेसीबी में डाला। शव को जेसीबी के जरीय दाह संस्कार के लिए ले जाया गया। जहां महिला का अंतिम संस्कार कराया गया।