PATNA : भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है. ऐसे में कई बड़े संस्था गरीबों और मजदूरों की मदद के लिए सामने आ रही हैं. गूंज संस्था ने भारत के 20 राज्यों में 6000 क्विंटल अनाज और अन्य जरूरी सामान को लोगों तक पहुंचाने का काम किया है. एडवांटेज डायलाॅग कार्यक्रमन में एन.डी.टी.वी. की मीडिया एक्सपर्ट नगमा सहर के साथ ख़ास बातचीत में गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता ने कहा कि आपदा की ऐसी स्थिति में दूसरे की इज्जत करें और मिलकर काम करें.
गूंज के संस्थापक तथा मैगसेसे अवार्ड विजेता अंशु गुप्ता ने कहा है कि अभी सुरक्षा, वजूद और भूख की लड़ाई है. ऐसी स्थिति में एक दूसरे की इज्जत करके मिलकर काम करना चाहिए. सरकार, संस्थाएं और जनता को साथ काम करना होगा. कोरोना से उपजे संकट से निपटने में इनोवेटिव तरीके से काम करना होगा. इनोवेटिव के बारे में उन्होंने कहा कि जैसा तरीका आज के इस संकट से उबारने में हमें मदद कर सके वैसा ही तरीका अपनाएं. जरूरत पड़े तो पुराने तरीकों में बदलाव लाएं. एक दर्शक द्वारा पूछे गये सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि मंदिर और मस्जिद के ट्रस्ट में जमा पैसे आज धर्म के नाम पर जरूरतमंदों के लिए दिया जा सकता है क्योंकि यह पैसा तो उन्होंने ही दिया था और जैसे ही हालात सही होंगे पैसा वापस आ जाएगा. आपदा के समय में गूंज ने 20 राज्यों में अब तक 6 लाख किलोग्राम अनाज और अन्य जरूरी सामान पिछले एक महिने के लाॅकडाउन के समय में पहुंचाया है. कई राज्यों में किसानों से बीज और सब्जी खरीदकर अन्य किसानों में बांटने का काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि आज देश दो भागों में बंट गया है. वैसे लोग जो खाना खा रहे हैं और वैसे लोग जिन्हें खाना नहीं मिल रहा है. समाज को इस मुद्दे पर सोचना चाहिए और काम करना चाहिए.
मैगसेसे अवार्ड विजेता अंशु गुप्ता रविवार को डिजिटल प्लेटफार्म जूम पर एडवांटेज डायलाॅग के सातवें एपिसोड में बोल रहे थे. मीडिया एक्सपर्ट एन.डी.टी.वी. की नगमा सहर से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस देश में गांवो की काफी उपेक्षा की गयी है. 12000 किसान प्रतिवर्ष आत्महत्या करते हैं. गांव से निकलकर मजदूरी करने गये जवानों को कुछ ठेकेदारों और नौकरी देने वालों ने लाॅकडाउन के तुरंत बाद निकाल दिया. किसी ने यह नहीं सोचा कि जो आदमी हर दिन उसका काम करता था, उसे विपरित समय आने पर उसे न कोई सहायता दी गई और ऊपर से नौकरी से भी हटा दिया गया. यह समय आत्ममंथन का है. अमीर और गरीब के बीच फासला काफी बढ़ गया है, उसे पाटने की जरूरत है. भुखमरी एक बड़ी समस्या होगी.
उन्होंने आगे कहा कि सेक्स वर्कर, ट्रांसजेंडर और भीख मांगने वाले छोटे-छोटे बच्चे कहां गये इसे देखना होगा. सिविल सोसाइटी को इन लोगों को बचाना होगा. जनता को केन्द्रित कर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि आज भी हम जिंदा सिर्फ किसान की वजह से हैं. कोरोना के बाद दुनिया काफी पीछे चली गयी है, इसे हमें आगे लाना होगा. अभाव के कारण घरों में झगड़ा-झंझट के मामले बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि इस आपदा में हेल्थ वर्कर और अन्य संस्थाओं के अलावा एक बहुत बेहतरीन काम एन.जी.ओ. कर रहा है. देश की आबादी काफी है, एक साझेदारी की जरूरत है. मीडिया के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पत्रकारों की इज्जत को वापस लाना होगा. उन्होंने कहा कि हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने योजनाओं पर सोच विचार को उन्हें बुलाया था, तो उन्होंने उनसे कहा था कि हम लोग गांव के किसान को भूल जाते हैं.
इस मौके पर एडवांटेज ग्रुप के संस्थापक और सी.ई.ओ. खुर्शीद अहमद ने बताया कि 25 और 26 अप्रैल को हुए पहले एपिसोड के बाद ही एडवांटेज डायलाॅग की लोकप्रियता काफी बढ़ गयी है. इसके अगले एपिसोडों में बड़े-बड़े विद्वान और नामचीन हस्ती आएंगे. उन्होंने कहा कि अपने राज्य तथा देश को बेहतर बनाने के लिए हम इस तरह का डायलाॅग आयोजित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपने राज्य और देश को बेहतर बनाने के लिए हम इस तरह का डायलाॅग आयोजित कर रहे हैं. इसमें बाॅलीवुड, स्पोर्टस, ज्युडिसरी, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र के लोग आयेंगे और सामाजिक तथा आर्थिक विकास और बच्चों के विकास के साथ समाज के सभी तबके की तरक्की की बातें होंगी. उन्होंने कहा कि कुल 24 एपिसोड में 24 प्रसिद्ध नामचीन हस्ती 24 विषय पर बात करेंगे. जिसमें लगभग 5 हजार लोग भाग लेंगे और 20 लाख लोग इसे देखेंगे. अगले 16 एपिसोड की तैयारी की जा चुकी है. इसमें देश के बड़े बड़े विद्वान और नामचीन हस्ती अपने विचार से लोगों को रूबरू कराएंगे.
आई.आई.टी. सुपर 30 के संस्थापक आनन्द कुमार, एम्स पटना के डायरेक्टर डाॅ. प्रभात कुमार, इंदौर के फैकल्टी और मैक्सेल के संस्थापक डाॅ. एम. अशरफ रिजवी, अमेरिका के शायर, लेखक और गीतकार फरहत शहजाद, डाॅ. रंजना कुमारी, पब्लिक रिलेशन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (पी.आर.सी.ए.आई.) के अध्यक्ष नीतीन मंत्री, बिहार चेम्बर ऑफ़ काॅमर्स (बी.सी.सी.) के सचिव अमित मुखर्जी, डायरेक्टर जेनरल रजिस्ट्रार ऑफ़ न्यूज पेपर्स फाॅर इंडिया एस.एम. खान अपने विचार प्रकट करेंगे.
उन्होंने कहा कि इस डायलाॅग के आयोजन में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बी.आई.ए.), बिहार चेंबर ऑफ़ काॅमर्स (बी.सी.सी.), इवेंट एंड इंटरटेनमेंट मैनेजमेंट एसोसिएशन (इमा), प्रेरण तथा पुतुल फाउंडेशन सराहनीय सहयोग दे रहा है. बिहार में डिजिटल प्लेटफार्म पर इस तरह का पहला कार्यक्रम हो रहा है. जूम के अलावा यह कार्यक्रम फेसबुक और युट्यूब पर भी लाईव देख सकते हैं. इस डायलाॅग में न सिर्फ छात्र, युवा बल्कि सारे लोग भाग ले रहे हैं. चार सेशन के बाद ही यह काफी पॉपुलर कार्यक्रम बन गया है. कार्यक्रम को देखने या सुनने के लिए कोई भी [email protected] पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकता है. रजिस्ट्रेशन बिलकुल निःशुल्क है.