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PATNA : कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ गई है. कोरोना संकट में राजस्व को अनुमानतः 50% का झटका लगा है. जीएसटी के चैथे वर्ष में 2 लाख 67 हजार करोड़ की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है. कोरोना के दौरान राजस्व क्षति की भरपाई पर विचार के लिए इस महीने के तीसरे सप्ताह केन्द्र और राज्यों की बैठक हो सकती है.
जीएसटी की वर्षगांठ पर ‘कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ़ इडिया’ के देश भर के सदस्यों को वर्चुअल माध्यम के जरिए पटना से सम्बोधित करते हुए बिहार उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के कारण साल 2020-21 में 2 लाख 67 हजार करोड़ कम राजस्व संग्रह होने की संभावना है. राज्यों के राजस्व क्षति की भरपाई पर विचार के लिए केन्द्र सरकार की ओर से इस महीने के तीसरे सप्ताह में एक बैठक हो सकती है.
सुशील मोदी ने नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और अरुण जेटली नहीं होते तो जीएसटी को लागू करना मुश्किल था. इसके लागू होने से पूरे देश के राज्यों की सीमा से चेकपोस्ट समाप्त हो गए, एक देश, एक कानून, एक प्रकार की कर व्यवस्था, सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर मानवीय हस्तक्षेप को खत्म करने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिली है. केन्द्र और राज्यों के 16 विभिन्न करों और 15 तरह के सेस और सरचार्ज को समाहित कर जीएसटी लागू की गई.
पहले दो सालों में जीएसटी की प्रगति अच्छी रही मगर तीसरे वर्ष में आर्थिक मंदी के कारण राज्यों का राजस्व प्रभावित होने लगा. चौथे वर्ष में सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संकट के कारण राजस्व संग्रह में आ रही कमी है. वित्तीय वर्ष के पहले दो महीने में पिछले वर्ष की तुलना में मात्र 45 फीसदी ही कर संग्रह हो पाया. पूरे वर्ष में अगर पिछले वर्ष की तुलना में 65 प्रतिशत भी कर संग्रह होता है तो राज्यों के राजस्व में 2 लाख 67 हजार करोड़ की कमी संभावित होगी.
राज्यों के राजस्व में 14 प्रतिशत से कम वृद्धि होने पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान है. केन्द्र के राजस्व में भी कमी आई है. ऐसे में केन्द्र और राज्यों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि लाॅकडाउन के कारण राजस्व की कमी की भरपाई कैसे की जाए. कोरोना संकट के दौरान टैक्स में वृद्धि करना भी उचित नहीं है. राज्यों ने केन्द्र से कर्ज लेकर क्षतिपूर्ति का सुझाव दिया है जिसपर अगली बैठक में विचार हो सकती है.