PATNA : बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह का सीएम नीतीश कुमार से विवाद शुरू हो गया है। जिसके बाद उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और महज राजद के विधायक के रूप में फिलहाल वो अपनी राजनीति कर रहे हैं। इस बीच वो अक्सर नीतीश कुमार की नीतियों को लेकर हमलावर रहते हैं और नीतीश सरकार के तमाम विभागों और अधिकारियों की पोल खोलते रहते हैं। इस बीच दो दिन पहले उन्होंने यह कह डाला कि, नीतीश कुमार गुंडों की सरकार चला रहे हैं। इसके बाद जब इनकी इस बात को लेकर सीएम नीतीश से जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ़ कर दिया कि,, वो सुधाकर की बातों पर ध्यान ही नहीं देते हैं। इसके बाद अब एक बार फिर से सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को सियासी कठघरे में खड़ा कर दिया है। सुधकार ने साफ़ तौर 5 पॉइंट के जरिए सवाल पूछा है।
नीतीश को खुला चैलेंज
सुधाकर सिंह ने नीतीश को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि, अगले चुनावों में अपने पसंद का कोई भी क्षेत्र चुन लिजियेगा और यदि वहां से आपकी हार नहीं हुई तो मुझे कुछ कहिएगा। सुधाकर सिंह ने कहा कि, नीतीश कुमार जी मेरे द्वारा किसानों के मुद्दे पर उठाए जा रहे सवालों पर कल आपके द्वारा दिए गए वक्तव्यों की जानकारी मिली। राज्य सरकार के मुखिया का दायित्व होता है कम से कम बुनियादी स्तर की ईमानदारी और राज्य के लोगों के प्रति कर्तव्यनिष्ठा रखना। पहले तो शक होता था कि आपमें इसकी कमी है मगर अब आपके द्वारा कही गई मनगढ़ंत बातों को सुनकर यही लगता है कि आपके राजनीतिक जीवन में कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
उन्होंने कहा है कि, आपसे यदि कोई नीतिगत मुद्दे पर तार्किक सवाल कर दे तो आपका एक ही घिसा-पिटा जवाब होता है कि सवाल पूछने वाले को कुछ नहीं पता है। खैर, आपके जैसे प्रकांड विद्वान के सामने हमारी क्या बिसात! लेकिन, आप हर सवाल और हर मुद्दे पर आप यही राग अपनाए रहते हैं कि बहुत काम हुआ है इसलिए आप ही के सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के साथ बिहार की खेती किसानी से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र कर रहा हूं।
पांच पॉइंट के जरिए खोली सरकार की पोल
सुधाकर सिंह ने पांच पॉइंट के जरिए नीतीश सरकार की किसानों के लिए किए गए कामों की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने बिहार के किसानों के आमदनी की हकीकत भी बताई है। पूर्व कृषि मंत्री ने कहा है कि, राज्य के अंदर दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप के तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था। उसका क्या हुआ।
बिहार के किसानों की आय सबसे कम
सुधाकर ने कहा कि, 24 मार्च 2022 को संसदीय समिति द्वारा संसद में पेश किये गए एक रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा कमाई मेघालय के किसानों की है - यहां के किसान हर महीने औसतन 29,348 रुपये कमाते है। वहीं पंजाब के किसान हर महीने 26,701 रूपए कमाते हैं। लेकिन बिहार के किसान परिवारों की औसत मासिक आय देश के 27 राज्यों की तुलना में सबसे निचले स्तर पर है और बिहार का प्रत्येक किसान परिवार हर महीने औसतन 7,542 रुपए कमाता है। यानि पंजाब के किसानों की औसत आय से बिहार के किसानों की आय एक चौथाई है।
सस्ते दरों पर होती है खरीदारी
इसके अलावा बिहार सरकार धान पैक्स के माध्यम से खरीद करती है। धान की कटाई अक्टूबर के महीने में होती है पर पैक्स धान खरीद दिसंबर में करती है। किसानों का धान पैक्स द्वारा समर्थन मूल्य से कम में ख़रीदा जाता है; इसके बावजूद भी बिहार सरकार द्वारा धान खरीद का काम लक्ष्य निर्धारित कर देने और अनुपात को घटा देने के बाद पैक्स एक तय सीमा तक ही किसानों से धान खरीद करती है। पैक्स द्वारा सीमित धान खरीदी और किसानों से खरीदे गए धान की भुगतान में देरी की वजह से किसान अपने धान बिचौलियों को समर्थन मूल्य से 700-800 रुपए प्रति क्विंटल कम में बेचने को मजबूर होते हैं। पंजाब में धान की बिक्री औसत 2300 रुपये प्रति क्विंटल है वहीं बिहार में धान की बिक्री मूल्य औसत 1600 रुपये प्रति क्विटल है। इस बिक्री दर का अन्तर केवल धान में ही नहीं बल्कि विभिन्न फसलों में भी जग जाहिर है।
बिहार में घटी अनाज की पैदावार
बिहार राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान लगभग 18-19 फ़ीसद है। लेकिन कृषि का अपना ग्रोथ रेट लगातार कम हुआ है। साल 2005-2010 के बीच ये ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी था 2010-14 के बीच 3.7 फीसदी हुआ और अब 1-2 फीसदी के बीच है। अगर असल विकास दर के हिसाब से देखें तो यह ग्रोथ रेट नेगेटिव में है। क्योंकि जिन फसलों की वैज्ञानिक पद्धति से फसल कटाई होती है उन फसलों में प्रगति नकारात्मक है। 2012 में जब दूसरा कृषि रोड मैप लागु किया गया था, बिहार में कुल खाद्यान्न उत्पादन 177.8 लाख टन था, जबकि 2022 में यह 176.02 लाख टन है, जो की दस सालो के बाद "एक लाख टन कम" है। कृषि रोड मैप में क़रीब 3 लाख करोड़ रुपए खर्च करके यही फायदा हुआ ना की बिहार में अनाज की पैदावार एक लाख टन घट गई ?
किसानों को नहीं मिल रहा उचित मुआवजा
बिहार में कई परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन सरकार द्वारा ख़रीदा जा रहा है पर सरकार किसानों को उचित मुआवजा नहीं दे रही है।बक्सर के किसानों द्वारा मुआवजा मांगने पर रात के अंधेरे में किसानों के परिवार पर पुलिस के माध्यम से लाठी चलवाती है। बक्सर के किसानों की जमीन सरकार द्वारा 2022 में 2013-14 के रेट पर लिया जा रहा है। कैमूर में भारत माला परियोजना में सरकार द्वारा कृषि जमीन का सर्किल रेट 3,20,000 रुपए (तीन लाख बीस हजार रु) प्रति एकड़ तय किया गया है वहीं बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश राज्य का कृषि जमीन का सर्किल रेट 12,80,000 रुपए (बारह लाख अस्सी हजार रु) प्रति एकड़ है। हमें पता है कि आपका जानकारी, आंकड़ों और जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है।
बजट सत्र में एक बार फिर से पेश होगा कृषि कानून
इसके आलावा उन्होंने कहा कि, मुझे यह बात अच्छी तरह मालूम है कि पिछले कुछ दिनों से आपने गफलत में रहने का नया शौक पाला है। निजी स्वास्थ्य पर शायद इसका कुछ ज्यादा असर न पड़े। मगर लोकहित के लिए गफलत में रहना ठीक नहीं। इसलिए यह शौक जल्द से जल्द छोड़ दिजिए। और हां, आपकी एक बात से सहमत हूं की जनता मालिक है। इसलिए अगामी चुनावों में अपने पसंद का कोई भी क्षेत्र चुन लिजियेगा, जनता इसका उदाहरण के साथ पुष्टि भी कर देगी कि बिहार के लोगों का आपसे भरोसा उठ चुका है और जनता वाकई मालिक है। इसके साथ ही आगामी बजट सत्र में एक बार फिर से बिहार में कृषि मंडी कानून के लिए निजी विधयेक पेश करूंगा। इस बार अगले दरवाजे से आकर बहस के लिए तैयार रहिएगा। जीरो जानकारी वाला विधायक सुधाकर सिंह