PATNA: लोकसभा या विधानसभा समेत किसी भी तरह का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनावी खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को देना अनिवार्य है। अगर प्रत्याशी चुनावी खर्च का हिसाब नहीं देते हैं तो आयोग उनके चुनाव लड़ने पर रोक तक लगा सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार के 237 पूर्व प्रत्याशियों के साथ। चुनाव आयोग ने खर्च का हिसाब नहीं देने पर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया है।
दरअसल, देशभर के 1069 लोगों ने चुनावी खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को नहीं दिया है, जिसमें से बिहार के 237 नेता शामिल हैं। ये लोग 2019 में लोकसभा और 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले पूर्व प्रत्याशी हैं। चुनावी खर्च का हिसाब नहीं देने पर भारत निर्वाचन आयोग ने इनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाते हुए इसकी लिस्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भेज दिया है।
प्रावधानों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो उसे नतीजे घोषित होने के तीस दिनों के भीतर चुनावी खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है लेकिन इन लोगों ने कई साल बीत जाने के बावजूद चुनावी खर्च का ब्योरा आयोग को उपलब्ध नहीं कराया है। जिसके बाद चुनाव आयोग ने सख्त एक्शन लेते हुए पूरे देश के 1069 पूर्व प्रत्याशियों के अगला चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी है।
देशभर के 1069 पूर्व प्रत्याशियों में बिहार के 237, यूपी के 121, तेलंगाना के 107, मध्य प्रदेश के 79, छत्तीसगढ़ में 73, आंध्र प्रदेश में 51, कर्नाटक में 75 हैं, जिसमें कुछ लोगों की अयोग्यता की अवधि जून 2024 है। वहीं कुछ के चुनाव लड़ने पर 2027 तक प्रतिबंध लगाया गया है। जिसमें झारखंड में 26, दिल्ली में 21, हिमाचल प्रदेश में 9, पंजाब में 7, उत्तराखंड में 24, हरियाणा में 55 और पश्चिम बंगाल में 17 पूर्व प्रत्याशी शामिल हैं।