चिराग पासवान ने कहा- मैं शेर का बच्चा हूं, न पहले डरा था और न आज डरूंगा, राम से मदद मांगनी पड़े तो मैं कैसा हनुमान

चिराग पासवान ने कहा- मैं शेर का बच्चा हूं, न पहले डरा था और न आज डरूंगा, राम से मदद मांगनी पड़े तो मैं कैसा हनुमान

DELH I : अपनी पार्टी औऱ परिवार में शुरू हुए घमासान के चार दिन बाद चिराग पासवान आज मीडिया के सामने आये. चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी औऱ परिवार में जो कुछ हुआ उससे उनसे दुख तो हुआ है लेकिन वे डरने वाले नहीं हैं. चिराग ने कहा-मैंने पहले भी कहा था कि मैं शेर का बच्चा हूं. न पहले डरा था औऱ न अब डरूंगा. मीडिया ने पूछा उन्होंने खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था क्या अब अपने राम से मदद मांगेगे. चिराग ने कहा कि अगर हनुमान को मदद ही मांगनी पड़ जाये तो कैसा राम और कैसा हनुमान.


पढिये क्या सब कहा चिराग ने 
प्रेस कांफ्रेंस में आते ही चिराग ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही है. एक महीने से बीमार हूं और कई दफे दवा लेकर खडा रह पा रहा हूं. दुख है कि जब मैं बीमार हूं तो मेरे खिलाफ साजिश रची गयी. मैं इसका मुकाबला करूंगा. मैं जानता हूं कि ये लडाई लंबी है. चिराग ने कहा कि मैं बिस्तर पर था तो मेरे खिलाफ षड़यंत्र रचा गया. मैंने अपने चाचा से संपर्क करने की हर कोशिश की. लेकिन उन्होंने बात तक नहीं. 


मैने अंत अंत कर पार्टी औऱ परिवार को एकजुट रखने की कोशिश की. मेरी मां भी लगातार कोशिश कर रही थीं. 10-15 दिनों से मेरी मां लगातार कोशिश कर रही थी चाचा से बात करने. जब सारी कोशिश फेल हो गयीं तो मैंने कल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलायी. पार्टी में अनुशासन कायम रखना मेरी जिम्मेवारी थी. औऱ उसमें पशुपति कुमार पारस औऱ बाकी सांसदों को पार्टी से बाहर कर दिया गया लेकिन काश हम पार्टी औऱ परिवार का मामला परिवार के अंदर हल कर पाते.


विधानसभा चुनाव में हम जीते 
चिराग पासवान ने कहा कि 8 अक्टूबर को उनके पिता रामविलास पासवान का निधन हुआ. उनके लिए वो एक कठिन घड़ी थी जब पापा की डेड ब़ॉडी भी घर पर नहीं आय़ी थी औऱ चुनाव सामने था. उस दौर में भी उन्होंने कोई समझौता नहीं किया. पार्टी की नीति-सिद्धांतों पर अडिग रहे. चिराग ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हमारी जीत हुई. लोजपा को 6 फीसदी औऱ 25 लाख वोट मिले. मैंने कभी सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया. मेरी पार्टी ने फैसला लिया था कि हम जेडीयू के साथ नहीं जायेंगे. हम अपने फैसले पर अड़े रहे और जनता ने हमे समर्थन दिया. ये सही है कि अगर हम जेडीयू-बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते को एनडीए की एकतरफा जीत होती. लेकिन इसके लिए मुझे नीतीश कुमार के सामने नतमस्तक होना पड़ता. मैं नतमस्तक नहीं हुआ. 


लंबे अर्से से पारस कर रहे थे साजिश
मेरे पापा जब आईसीयू में थे उस समय से हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिशें हो रही थी. पापा ने आईसीयू से बात की थी. चाचा पारस से भी बात की थी. विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के सांसदों ने साथ नहीं दिया. चाहे पशुपति पारस हों या दूसरे सांसद. दरअसल हमारी पार्टी के कुछ नेता चाहते थे कि हम नीतीश कुमार के साथ रहे. लेकिन हमने पार्टी के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. चिराग ने कहा कि बिहार चुनाव को लेकर जो भी निर्णय लिये गये वह पार्टी नेताओं से बात कर लिये गये. पारस आज कह रहे हैं कि मैंने बगैर राय मशवरा किये फैसला लिया तो उन लोगों ने उस वक्त आपत्ति क्यों नहीं जतायी थी. चुनाव के 6 महीने बाद ये बात क्यों उठ रही है.


पारस गलत दावे कर रहे हैं
चिराग पासवान ने कहा कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को पार्टी के संविधान की जानकारी नहीं है. ना ही उन्होंने उसे पढ़ा है. तभी वे खुद को संसदीय दल का नेता मान रहे हैं और चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाने की बात कर रहे हैं. हालांकि पारस जी ने मुझे कहा होता कि संसदीय दल का नेता बना दो तो मैं खुशी से उन्हें बना देता. लेकिन जिस तरीके से पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुना गया वह पार्टी संविधान के खिलाफ है. लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान ये कहता है कि संसदीय दल का नेता संसदीय बोर्ड या पार्टी का अध्यक्ष चुनेगा. 


मीडिया में कहा जा रहा है कि मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. लेकिन पार्टी अपने संविधान से चलती है औऱ हमारा संविधान कहता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को तभी हटाया जा सकता है जब उसका निधन हो जाये या वह खुद अपना पद छोड़ दे. पशुपति कुमार पारस को लोजपा पार्टी का संविधान पढ लें. वे कह रहे हैं कि मैं पार्टी का अध्यक्ष नहीं रह सकता. लेकिन उनके पास जानकारी का अभाव है. वैसे पशुपति पारस ने ही मुझे पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था. ये सब चीजें रिकार्ड में दर्ज हैं. 


जेडीयू ने रची साजिश
चिराग पासवान ने अपनी पार्टी में हुए बखेड़े के लिए सीधे तौर पर नीतीश कुमार या बीजेपी को जिम्मेवार बताने से परहेज किया. हां उन्होंने ये जरूर कहा कि सारी साजिश जेडीयू ने रची है. जेडीयू के ही नेताओं का नाम सामने आ रहा है. नीतीश कुमार खुल कर सामने नहीं आय़े हैं तो कैसे उनका नाम लिया जाये. चिराग ने बीजेपी पर भी कुछ बोलने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि जेडीयू ये चाहती है कि कोई दलित आगे नहीं बढ पाये. ये सारी साजिश उसी मकसद से रची गयी. पहले भी दलित-महादलित के नाम पर दलितों को बांटा गया था.


चिराग पासवान ने कहा कि वे किसी दूसरे को दोष देने के बजाय अपनी पार्टी औऱ घऱ को देख रहे हैं. अगर अपने ही धोखा दे जायें तो किसी दूसरे पर क्या आऱोप लगाना. 


शेर का बेटा हूं
चिराग पासवान ने कहा कि वे ऐसी परिस्थितियों से घबराने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा-मैंने पहले भी कहा था कि मैं शेर का बच्चा हूं. आज भी वही कह रहा हूं. शेर का बच्चा हूं न पहले घबराया था और न अब घबराउंगा. मीडिया ने सवाल पूछा कि वे खुद को मोदी का हनुमान बताते थे तो क्या अब राम से मदद मांगेगे. चिराग पासवान ने कहा कि हनुमान को अगर राम से मदद ही मांगनी पड़ जाये तो फिर कैसा हनुमान.