चिराग के दोस्त सौरभ ने पशुपति पारस को लिखा लेटर, अपने ऊपर लगे आरोपों पर पहली बार तोड़ी चुप्पी

चिराग के दोस्त सौरभ ने पशुपति पारस को लिखा लेटर, अपने ऊपर लगे आरोपों पर पहली बार तोड़ी चुप्पी

PATNA : चिराग पासवान के करीबी दोस्त और राजनीतिक सलाहकार के तौर पर जाने जाने वाले सौरभ पांडेय ने केंद्रीय मंत्री और चिराग के चाचा पशुपति पारस को चिट्ठी लिखी है। पशुपति पारस को लिखे लेटर में सौरभ पांडेय ने अब तक अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों पर ना केवल जवाब दिया है बल्कि पशुपति पारस से कई सवाल भी पूछे हैं। सौरभ पांडेय का यह लेटर ऐसे वक्त में सामने आया है जब यह चर्चा चिराग की पार्टी में हो रही है कि सौरभ पांडेय को साइडलाइन कर दिया गया है। सौरभ पांडेय ने 3 पन्ने के लिखे अपने लेटर में रामविलास पासवान के कार्यकाल, उनकी राजनीतिक यात्रा से लेकर उनके निधन के बाद की परिस्थितियों और फिर लोक जनशक्ति पार्टी में टूट तख्त पर बेबाकी से अपनी बातें रखी है। 


दरअसल सौरभ पांडेय ने चिराग पासवान को अपनी तरफ से दिए गए सहयोग को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। सौरभ ने अपने लेटर में लिखा है कि बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है और यह पशुपति पारस जी को समझ लेना चाहिए। सौरभ पांडेय ने बताया है कि 14 अप्रैल 2020 को गांधी मैदान में होने वाली रैली में रामविलास पासवान जी खुद बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन 2020 को जारी करने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बावजूद चिराग पासवान ने इस मिशन को आगे जारी रखा। चिराग पासवान ने बिहार फर्स्ट अभियान से कोई समझौता नहीं किया और ना ही केंद्र में मंत्री बनते बनने की कोई परवाह की। 


सौरभ पांडेय ने बताया है कि कैसे पिछले विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी को अपने बूते लोगों का समर्थन और वोट हासिल हुआ ना की किसी गठबंधन के बूते। सौरभ पांडेय ने इस बात का भी खुलासा किया है कि पशुपति पारस कृष्णा राज को बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते थे और यहीं से विवाद की शुरुआत हुई एनडीए द्वारा लोक जनशक्ति पार्टी को 15 सीट देने की बात पशुपति पारस को बताई गई थी लेकिन उन्होंने इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया था। 15 सीट लड़का बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के मिशन को पूरा किया जा सकता था, यह सवाल भी सौरभ पांडे ने पूछा है। 


इतना ही नहीं सौरभ पांडेय ने यह भी कहा है कि चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद अकेले हो गए थे लेकिन इस दौर में भी उन्हें चाचा का साथ नहीं मिला। चाचा पशुपति पारस के लिए चिराग पासवान और उनकी मां के मुंह से मैंने हमेशा अच्छा सुना लेकिन पिता की मृत्यु के बाद चिराग जब अकेले हो गए तो क्या ऐसे वक्त में एक दोस्त और भाई के नाते मैं उन्हें अकेला छोड़ देता? बिहार के लिए चिराग का साथ देना बेहद जरूरी था। सौरभ पांडेय की यह चिट्ठी रामविलास पासवान के निधन के 1 साल बाद सामने आई है उन्होंने पहली बार अपने से जुड़े तमाम सवालों आरोपों पर बात रखी है। जाहिर है इसके बाद अब पशुपति पारस या उनकी पार्टी की तरफ से भी प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।