PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के टूटने के कयास लगातार मजबूत हो रहे हैं। एनडीए के दो दलों के सुप्रीमो की आपस में ठनी हुई है। बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच का टकराव खत्म होता हुआ नजर नहीं आ रहा। एक तरफ चिराग पासवान आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं तो दूसरी तरफ अंदरखाने की खबर यह भी है कि नीतीश कुमार भी एनडीए में चिराग पासवान को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। ऐसे में जेडीयू और एलजेपी के बीच वार और पलटवार लगातार चल रहा है।
बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता महेश्वर हजारी ने आज चिराग पासवान का बिना नाम लिए उनको आईना दिखाने की कोशिश कही है। फस्र्ट बिहार से बातचीत करते हुए महेश्वर हजारी ने कहा कि जो व्यक्ति काम करता है उसे पता होता है हम किस तरह से काम करते हैं। सत्ता सभी को मिलती है। नीतीश कुमार दलित समाज से नहीं आते लेकिन वे दलितों के लिए काम कर रहे हैं। कौन दलित समाज का कितना प्रतिनिधित्व करता है यह सबको पता है। दलित समाज में पैदा ले लेने से कोई दलित का नेता नहीं हो जाता है। नीतीश कुमार ने दलित को मुख्यमंत्री बनाया। पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी को एक दिन के लिए अपनी कुर्सी पर बिठाया। बिहार में जो सेवा और विकास कर रहा है उसकी तरफ जनता देख रही है। जो इंगलैंड-पाकिस्तान और नेपाल में बैठकर भाषण देगा और जनता के बीच आएगा हीं नहीं तो उसका महत्व जनता की नजर में क्या रहेगा।
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने यह फैसला लिया है कि एससी-एसटी वर्ग से आने वाले किसी व्यक्ति की अगर हत्या होती है तो उसके परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी। सीएम नीतीश कुमार के इस फैसले पर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बकायदा सीएम नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखी और यह मांग कर दी कि अब तक एससी-एसटी वर्ग से आने वाले जितने लोगों की हत्या हुई है उनके परिवार के सदस्य को सरकार नौकरी दे। चिराग पासवान ने यह भी लिखा कि एससी-एसटी वर्ग से आने वाले लोगों की हत्याओं के जितने मामले लंबित हैं उसका स्पीडी ट्रायल कराया जाय। अगर लोजपा की यह मांग सरकार नहीं मानती तो इसे लोग मात्र चुनावी घोषणा हीं मानेंगे। चिराग पासवान के इस बयान को लेकर जेडीयू के नेताओं में नाराजगी है और एक के बाद एक जेडीयू के बड़े नेताओं के हमले सामने आ रहे हैं।