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1st Bihar Published by: Updated Mon, 17 Oct 2022 08:55:14 AM IST
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PATNA : भविष्य की राजनीति को लेकर चिराग पासवान आज किसी नए फैसलों की तरफ आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि गठबंधन को लेकर चिराग बड़ा ऐलान करेंगे, इसकी उम्मीद कम है लेकिन दिल्ली में बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के फ्यूचर पॉलिटिकल कार्ड को लेकर चिराग आज काफी कुछ संकेत दे सकते हैं।
चिराग ने दिल्ली स्थित एक कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। बैठक की अध्यक्षता सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान करेंगे। पार्टी के तमाम कार्यकारिणी सदस्य भी बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं।
चिराग के प्लान में क्या?
नीतीश कुमार के कारण एनडीए से बाहर जाने वाले चिराग पासवान दोबारा भारतीय जनता पार्टी के करीब आते दिख रहे हैं, हालांकि चाचा पशुपति कुमार पारस के एनडीए में रहते उनकी वापसी हो पाएगी यह संभव नहीं दिखता। लेकिन इसके बावजूद चिराग पासवान ने बिहार में हो रहे दो विधानसभा उपचुनाव वाली सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं दिया है। राजनीतिक जानकार चिराग के इस फैसले को भविष्य की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। चिराग इसके पहले उपचुनाव में उम्मीदवार देते रहे हैं लेकिन इसका नुकसान कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ा है।
अब चिराग पासवान ने एक कदम पीछे लिया है, जाहिर है वह भविष्य के राजनीतिक विकल्प खुले रखना चाहते हैं। चिराग पासवान फिलहाल किसी गठबंधन में जाने का ऐलान करेंगे इसकी उम्मीद नहीं लेकिन नीतीश कुमार के विरोध में बिहार के अंदर समीकरण बनाने की दिशा में चिराग आगे जरूर बढ़ सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात पर मुहर लग सकती है कि नीतीश सरकार की विदाई के लिए बिहार में रणनीतिक तौर पर काम किया जाए और इसी राजनीतिक दिशा को तय करते हुए आगे बढ़ा जाए।
पारस हैं दीवार
नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी को अपना दुश्मन नंबर एक घोषित कर रखा है। इसके पहले नीतीश चिराग पासवान को साध चुके हैं। चिराग की पार्टी से लेकर परिवार तक को नीतीश की नजर लग चुकी है। ऐसे में नीतीश के मसले पर चिराग बीजेपी के साथ खड़े नजर आते हैं लेकिन असल मुश्किल चाचा पशुपति कुमार पारस को लेकर है। चाचा पशुपति कुमार पारस ने की नीतीश के इशारे पर पार्टी और परिवार को तोड़ा इसे चिराग कभी भूल नहीं सकते। बीजेपी ने फिलहाल पशुपति पारस को केंद्र में मंत्री बना रखा है। वे एनडीए के बिहार में एकमात्र सहयोगी भी हैं। ऐसे में चिराग पासवान बीजेपी के उस फैसले का इंतजार करेंगे जिसमें पारस के लिए एनडीए का एग्जिट डोर खोल दिया जाए। पारस के रहते चिराग एनडीए में एंट्री मुश्किल है।
बीजेपी के बड़े नेताओं को भी लगता है कि चिराग पासवान पशुपति पारस से ज्यादा फायदेमंद सौदा हो सकते हैं। राजनीतिक तौर पर चिराग वोट बैंक के लिहाज से ज्यादा मजबूत नजर आते हैं लेकिन चिराग को पारस से रिप्लेस कैसे किया जाए फिलहाल इसका फार्मूला बीजेपी नेतृत्व को भी समझ में नहीं आ रहा। जाहिर है इन सब बातों में अभी वक्त लगेगा लेकिन एक बात तय है कि चिराग भी अब धीरे-धीरे ही सही अपने राजनीतिक विकल्पों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं और आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इसकी झलक देखने को मिल सकती है।