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चंद्रशेखर के बाद अब जीतन राम मांझी को रामायण पर घोर आपत्ति, बोले ...महाकाव्य के ज्ञाता इन पंक्तियों का दें जवाब

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 13 Feb 2023 07:53:50 AM IST

चंद्रशेखर के बाद अब जीतन राम मांझी को रामायण पर घोर आपत्ति, बोले ...महाकाव्य के ज्ञाता इन पंक्तियों का दें जवाब

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NAWADA : बिहार में रामचरित मानस को लेकर छिड़ा विवाद भले ही अब शांत होता हुआ दिख रहा हो और इसको लेकर अब सियासी गर्माहट कम हो गई हो। लेकिन, अब इस ठंडी पड़ी आग में फिर से घी डालने का काम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और सरकार में सहयोगी की भूमिका निभा रहे जीतन राम मांझी ने की है। उन्होंने कह दिया है कि, उन्हें रामायण को लेकर कुछ आपत्ति है।  हालांकि, उन्होंने यह बातें रामायण की कुछ पंक्तियों को लेकर कही है। 


दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी फिलहाल गरीब जोड़ों यात्रा पर निकले हुए है।  इसी दौरान वह एक निजी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि, उन्हें रामायण को लेकर आपत्ति है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मैं रामायण को मानता हूं, यह मेरे लिए भी पूज्य महाकाव्य है। रामायण से ही रामचरितमानस का सृजन हुआ है और रामायण को वाल्मीकि जी ने लिखा है। लेकिन,इसकी कुछ पंक्तियों पर मुझे आपत्ति है। 


जीतन राम  मांझी ने कहा कि, रामायण में जो लाइन लिखी गई है। उसमें एक लाइन यह है कि, " नारी नीर नीच कटी धावा, ढोल गवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी, पूज्य विप्र शील गुण हीना".... रामायण के इस चौपाइयों पर मुझे आपत्ति है। मांझी का कहना है कि वह रामायण की बात मानते हैं, लेकिन इसमें नारी, नीर, नीच कटी धावा क्यों बोला गया है इसको लेकर उन्हें आपत्ति है। उसमें कुछ अच्छी बातें भी तो हैं। मांझी ने कहा कि या तो इसे मिटा देना चाहिए या जो रामायण के मर्मज्ञ हैं उन्हें वह काट देना चाहिए। 


मांझी ने कहा कि हम जाति की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन नारी जो 50 प्रतिशत है और आधुनिक युग में नारी सशक्तिकरण की बात कही जा रही है तो इसमें नारी को नीच बताया जा रहा है। रामायण के जानकार को इसका जवाब जरूर देना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि हम रामचरितमानस को खराब नहीं कह सकते क्योंकि उसमें बहुत ही अच्छी अच्छी बातें लिखी हुई है। हम जहां जाते हैं वहां रामायण की ही बात करते हैं।  इससे अच्छा महाग्रंथ कोई हो ही नहीं सकता है। राजनीति के लिए यह अच्छी महाकाव्य है। लेकिन, इसमें कुछ लाइन बदल देनी चाहिए। 


रामचरितमानस की चौपाइयां पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी पंक्तियां है जिसके चलते लोग कुछ करते हैं, लेकिन हम नहीं समझते कि कुछ करना चाहिए। उनका कहना है कि हमें हंस की तरह होनी चाहिए। जैसे हंस पानी से दूध निकालकर पी लेता है वैसे ही हमें रामचरितमानस से दूध और पानी को अलग कर लेना चाहिए। 


आपको बताते चलें कि, अभी से कुछ दिन पहले बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री के पद पर काबिज राजद कोटे के नेता प्रो.चंद्रशेखर ने रामचरित मानस पर सवाल उठाया था।  उन्होंने कहा था कि, रामचरित मानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है।  जिसके बाद इसको लेकर बिहार की राजनीति में इनके इस बयानों को लेकर काफी विवाद छिड़ गई थी। खुद उनके ही सहयोगी मंत्री भी इस बयान पर सवाल उठाने लगे थे। हालांकि, बाद में सीएम नीतीश के अंदुरनी इशारों पर इस मामले को शांत किया गया। इसके बाद अब एक बार फिर से यह विवाद सुर्खियों में आ गया है।