चार्टर प्लेन से झारखंड के लोगों को वापस लायेंगे हेमंत सोरेन, केंद्र सरकार से मांगी है अनुमति

चार्टर प्लेन से झारखंड के लोगों को वापस लायेंगे हेमंत सोरेन, केंद्र सरकार से मांगी है अनुमति

RANCHI: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चार्टर प्लेन के जरिये अपने राज्य के लोगों को वापस घर लाने का फैसला ले चुके हैं. प्लेन के जरिये उन इलाकों से झारखंड के लोगों को लाया जायेगा जहां ट्रेन और बस नहीं जा सकते. झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से इसकी अनुमति मांगी है.


हेमंत सोरेन की पहल

दरअसल झारखंड के कई लोग अंडमान-निकोबार से लेकर लद्दाख समेत दूसरे स्थानों पर फंसे हुए हैं. दूर दराज के उन इलाकों में फंसे लोग घऱ वापस लौटने के लिए झारखंड सरकार से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन ट्रेन या बस के जरिये उन्हें वापस ले पाना संभाव नहीं है. ऐसे में सोरेन सरकार ने तय किया है कि वह झारखंड के लोगों को चार्टर प्लेन से झारखंड वापस लायेगी. इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृह मंत्रालय से आदेश मांगा है.


झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अपने राज्य के लोगों को वापस लाने के लिए चार्टर प्लेन की अनुमति देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि अंडामान-निकोबार, लद्दाख और उत्तर पूर्व के राज्यों में लॉकडाउन की वजह से फंसे झारखंड के लोग बस या ट्रेन से वापस नहीं लौट सकते. लिहाजा केंद्र सरकार ऐसे श्रमिकों और अन्य लोगों को चार्टड प्लेन से लाने की अनुमति दें.


जल्द अनुमति दे केंद्र सरकार 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि उन्होंने 12 मई को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था कि चार्टर प्लेन से लोगों को वापस लाने की अनुमति दे. लेकिन अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला है. लिहाजा फिर से आग्रह किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन श्रमिकों को किसी अन्य परिवहन के माध्यम जैसे बस या ट्रेन से लाना फिलहाल संभव नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन-3 के दौरान कई राज्यों में फंसे श्रमिकों और अन्य लोगों को ट्रेन और बसों से झारखंड वापस लाया गया है. लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों, अंडमान-निकोबार और लद्दाख जैसे जगहों पर अभी भी झारखंड के कई लोग फंसे हैं.


झारखंड के डेढ लाख लोग वापस आये

मुख्यमंत्री ने बताया कि लॉकडाउन में फंसे झारखंड के करीब डेढ़ लाख श्रमिक, छात्र और दूसरे लोग वापस घर आ चुके हैं. लेकिन लद्दाख में करीब 200, उत्तर पूर्वी राज्यों में करीब 450 श्रमिक अब भी फंसे हुए हैं, जिन्हें ट्रेन या बस से लाना फिलहाल संभव नहीं है.