PATNA : आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जाएगी. शबनम पर अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही सात परिजनों की बेरहमी से हत्या कर देने का आरोप है और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने उसे दोषी पाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा है. राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया है.
शबनम को अब फांसी की सजा दी जानी है और इसके लिए तैयारियां भी की जा रही है. शबनम को मथुरा में महिलाओं के लिए बनाए गए फांसी घर में फंदे से लटकाया जाएगा, लेकिन इसके लिए रस्सी बक्सर से मंगाई जाएगी. बक्सर केंद्रीय कारा में जो रस्सी तैयार होती है उसी से फांसी का फंदा तैयार किया जाता है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक बक्सर जेल प्रशासन को ही फांसी के फंदे के लिए रस्सी मुहैया कराया जाना है.
बता दें कि आजादी के बाद पहली बार हमारे देश भारत में किसी महिला को फांसी दी जाएगी. आजाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके लिए मेरठ के रहने वाले पवन जल्लाद दो बार फांसी घर का निरीक्षन कर चुके हैं. अब बक्सर जेल प्रशासन फांसी के फंदे तैयार करने में भी जुट गया है.
सात परिजनों का किया था मर्डर
अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस दौरान उसने अपने माता-पिता, दो भाई-एक भाई, एक मौसेरी बहन और एक आठ माह के भतिजे की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद उसने ही गांव वालों को जगाया था और कहा कि लूटेरे ने परिवार की हत्या कर दी. वह परिवार में एकलौती बची थी इसलिए वह शक के दायरे में थी. पुलिस ने जब जांच शुरू की तो शबनम पर शक हुआ. फिर मोबाइल कॉल हिस्ट्री के जरिए पुलिस शबनम तक पहुंची और उसे गिरफ्तार किया गया था.
आजादी के बाद पहली महिला कैदी को मिलेगी फांसी
मथुरा जेल में 150 साल पहले पहला महिला फांसीघर बनाया गया था. लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई. वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है. लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी.