PATNA : बिहार विधानमंडल का बजट सत्र 25 फरवरी से शुरू हो रहा है। लगभग महीने भर तक के चलने वाले इस बजट सत्र के दौरान सरकार अपना बजट पेश करेगी। कई विधेयक सदन में लाए जाएंगे और विपक्ष कई सवालों पर सरकार को घेरने की रणनीति के साथ सदन में पहुंचेगा। हालांकि सत्ता पक्ष के लिए विपक्ष से ज्यादा बड़ी चुनौती आपसी तालमेल को बनाए रखने की होगी। एनडीए गठबंधन के अंदर पिछले कुछ अरसे में जो मुद्दे विवाद का कारण रहे हैं उनपर सदन के अंदर कोई आपसी गतिरोध ना नजर आए और तालमेल ठीक रहे यही एनडीए के लिए बड़ी चुनौती होगी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, जातीय जनगणना और उसके साथ जनसंख्या नियंत्रण जैसे मसलों पर एनडीए में शामिल बीजेपी और जेडीयू की राय अलग-अलग रही है। कई मसलों पर जेडीयू और आरजेडी की राय एक भी नजर आती है। ऐसे में कहीं सत्र के दौरान यह आपसी गतिरोध सरकार के लिए फजीहत का कारण ना बन जाए इसको लेकर एनडीए के नेता रणनीति बनाएंगे।
बजट सत्र में सत्ता पक्ष के रणनीति तय करने के लिए कल यानी 25 फरवरी को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक भी आयोजित होगी। 25 फरवरी को जब सत्र की शुरुआत होगी तो सबसे पहले राज्यपाल फागू चौहान संयुक्त सदन को संबोधित करेंगे। पहले दिन की कार्यवाही ज्यादा लंबी नहीं चलेगी और विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद एनडीए विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई है। विधानसभा स्थित सेंट्रल हॉल में यह बैठक आयोजित होगी। विधानमंडल की बैठक में एनडीए गठबंधन में शामिल मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी का क्या रुख रहता है यह देखना भी दिलचस्प होगा। आपको याद दिला दें कि सत्र के दौरान मुकेश सहनी ने विधानमंडल की बैठक के बाद बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला था।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत बिहार के दोनों डिप्टी सीएम अपने अपने विधायकों को यह मैसेज देंगे कि सदन के अंदर सरकार की मुश्किल है ना बढ़ाई जाए। प्रश्नोत्तर काल से लेकर ध्यानाकर्षण के जरिए विधायक सरकार से गणित के सवाल जरूर पूछेंगे लेकिन इस दौरान सरकार की तरफ से आने वाले जवाब को लेकर सदन में सत्ता पक्ष के विधायक के ज्यादा आक्रामक ना हो इसका प्रयास किया जाएगा। केंद्रीय विधान मंडल के दल की बैठक में इसके अलावा अन्य जरूरी मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। एक तरफ विपक्ष अपने उन मुद्दों को धारदार बनाने की तैयारी करेगा जिसके जरिए बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेरा जा सके। कुल मिलाकर कहें तो लगभग महीने भर तक के बिहार में सत्र के दौरान जोरदार सियासत देखने को मिलेगी।