PATNA : बिहार में खतरनाक महामारी ब्लैक फंगस के शिकार बने लोगों में 96 फीसदी ऐसे हैं जो पहले से डायबिटीज के मरीज रहे हैं. पटना के जिन तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज चल रहा है वहां भर्ती मरीजों की छानबीन में यही नतीजा निकल कर आ रहा है. तीनों अस्पतालों में बडे पैमाने पर ब्लैक फंगस के मरीज आय़े हैं. लेकिन जिन्हें भी इलाज के लिए भर्ती किया गया है उसमें सिर्फ 8 मरीज ही ऐसे हैं जिन्हें पहले से डायबीटिज नहीं था.
पटना एम्स,IGIMS और PMCH का हाल
दरअसल ब्लैक फंगस का इलाज पटना के दो बडे सरकारी अस्पताल एम्स औऱ आईजीआईएमएस में हो रहा है. इसके साथ ही पीएमसीएच में भी इलाज शुरू किया गया है. अब तक तीनों अस्पतालों में कुल 166 मरीजों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है. इनमें सिर्फ 8 ऐसे मरीज हैं जिन्हें पहले से डायबीटिज नहीं था. बाकी 158 मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले से हाई शुगर की शिकायत रही है. जाहिर है डायबीटिज ब्लैक फंगस का प्रमुख कारण बन रहा है.
पटना एम्स में अब तक ब्लैक फंगस के शिकार बने 72 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है. एम्स में कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि 72 में से सिर्फ 4 मरीज ऐसे हैं जो डायबीटिज से पीडित नहीं हैं. डॉ संजीव ने बताया कि ब्लैक फंगस यानि म्यूकर माइकोसिस के शिकार होने वाले में इक्के दुक्के लोग ही ऐसे हैं जो पहले से हाई शुगर के मरीज नहीं रहे हैं. हाई शुगर न होने के बावजूद वही लोग ब्लैक फंगस के शिकार बन रहे हैं जो लंबे समय तक कोरोना संक्रमित रहे, जिन्हें सही से ऑक्सीजन या स्टेरॉयड नहीं दिया गया.
IGIMS, PMCH का यही हाल
पटना के आईजीआईएमएस में अब तक ब्लैक फंगस के शिकार बने 88 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है. यहां भी 88 में से सिर्फ 4 मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले से डायबीटिज नहीं था. गुरूवार को आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के 10 संदिग्ध मरीज आये. सब के सब डायबिटीज के मरीज थे. संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया आईजीआईएमएस में पहले दिन भर्ती किए गए जिन 43 मरीजों को भर्ती किया गया था उनमें से 42 डायबिटीज के मरीज भी थे. उधर पीएमसीएच में भर्ती ब्लैक फंगस के सभी 6 मरीज डायबिटीज के पेशेंट हैं.
शुगर बढा है फिर रहिये बेहद सावधान
डॉक्टर बता रहे हैं कि कोरोना के मरीजों में अनियंत्रित डायबिटीज ही ब्लैक फंगस का सबसे बडा कारण बन कर सामने आ रहा है. आईजीआईएमएस के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा के मुताबिक ब्लैक फंगस का शिकार बनने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश मरीज ऐसे हैं जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित था. डॉ विभूति ने कहा कि डायबिटीज पीडित कई लोग सिर्फ सुबह में ब्लड शुगर टेस्ट कर संतुष्ट हो जाते हैं. वे देखते ही नहीं खाने के बाद शुगर कितना बढ़ा. खाने के बाद उनका शुगर कंट्रोल से बाहर हो जाता है. वैसे लोग भी बडी तादाद में ब्लैक फंगस के शिकार बने हैं. डॉक्टर का कहना है कि डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति अगर कोरोना संक्रमित होता है तो उसे बहुत सख्ती से अपने सुगर लेवल को कंट्रोल में रखना चाहिये.