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1st Bihar Published by: Updated Wed, 02 Oct 2019 07:45:16 AM IST
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PATNA : पटना में तबाही पर भाजपा के अल्टीमेटम के बाद बेचैन नीतीश कुमार कल रात पानी में उतर गये. मंगलवार की रात मुख्यमंत्री खुद संप हाउस का निरीक्षण करने निकल गये. लेकिन नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम सुशील मोदी, जिले के प्रभारी मंत्री नंद किशोर यादव, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा या स्थानीय विधायक अरूण सिन्हा को पूछा तक नहीं. मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग के संप हाउस का निरीक्षण जल संसाधन मंत्री संजय झा के साथ किया.
BJP की नाराजगी के बाद निकले नीतीश
दरअसल फेसबुक पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का बयान आने की खबर मंगलवार की देर शाम नीतीश कुमार को मिल चुकी थी. इसके बाद वे राहत कार्य और जल निकासी का जायजा लेने खुद निकले. मुख्यमंत्री ने कल ही तमाम प्रभारी मंत्रियों और प्रभारी सचिवों को अपने प्रभार वाले जिले में कैंप करने का निर्देश दिया था. लेकिन खुद जब पटना का निरीक्षण करने निकले तो जिले के प्रभारी मंत्री नंद किशोर यादव को खबर तक नहीं थी.हां, जिले के प्रभारी सचिव एस सिद्धार्थ को जरूर सीएम के दौरे के वक्त मुस्तैद रहने की ताकीद की गयी थी. मुख्यमंत्री ने सैदपुर में नगर विकास विभाग के संप हाउस का निरीक्षण किया लेकिन इसकी खबर नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा को नहीं थी. हां, नगर विकास विभाग के अधिकारियों को जरूर मुख्यमंत्री के दौरे की खबर दी गयी थी. मुख्यमंत्री ने सैदपुर और रामपुर नहर के इलाके में जम जमावे से पीड़ित लोगों से मुलाकात भी की. लेकिन वहां के स्थनीय विधायक अरूण सिन्हा को भी सीएम के दौरे की सूचना नहीं थी. पटना के ही निवासी डिप्टी सीएम सुशील मोदी तक को मुख्यमंत्री के दौरे की खबर नहीं थी.
तो क्या जवाबी कार्रवाई पर उतरे नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री ने मंगलवार की रात नगर विकास विभाग के काम का निरीक्षण जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के साथ किया. सीएम ने जिस तरह बीजेपी के उपर से लेकर नीचे तक के तमाम नेताओं की अनदेखी की उससे अटकलों का बाजार गर्म है. क्या नीतीश कुमार ने बीजेपी के हमले के बाद पलटवार किया है. जानकार सूत्रों की मानें तो कल रात नीतीश कुमार ने अपने दो-तीन खास सहयोगियों से टेलीफोन पर लंबी बातचीत भी की है. नीतीश समझ रहे हैं कि बीजेपी ने बिहार में अपना मिशन शुरू कर दिया है. लेकिन बीजेपी से पल्ला झाड़ पाना नीतीश के लिए इस वक्त मुमकिन नहीं दिख रहा है. राजद के साथ फिर से दोस्ती की गुंजाइश लगभग खत्म हो गयी है. ऐसे में सरकार चलानी है तो बीजेपी के अलावा कोई दूसरा सहारा नहीं है. देखना दिलचस्प होगा कि चाणक्य माने जाने वाले नीतीश कुमार इस हालात से कैसे निकलते हैं.