PATNA : बिहार में दलितों पर मुसलमानों के कथित अत्याचार को लेकर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ा दिया है. बिहार सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री जनक राम ने दो जिलों के डीएम को कड़ा पत्र लिख दिया है. कहा है दलित लडकियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है औऱ फिर निकाह रचाया जा रहा है. ये बेहद गंभीर मामला है, लिहाजा तत्काल कड़ी कार्रवाई कर सूचित करें. गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी दलितों पर मुसलमानों के जुल्म का मामला उठाते हुए नीतीश सरकार पर सवाल खड़े किये थे.
गोपालगंज औऱ जमुई के DM को मंत्री का पत्र
बिहार सरकार में खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम ने गोपालगंज औऱ जमुई के डीएम को कड़ा पत्र लिख दिया है. दोनों में दलित लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्मांतरण कराने औऱ निकाह करने का आरोप लगाया गया है. जमुई डीएम को लिखे पत्र में मंत्री ने कहा है कि जमुई के चंद्रदीप थाने के दीननगर गांव में एक नाबालिग दलित लडकी को अगवा कर मस्जिद में उससे निकाह कर लिया गया है. मंत्री ने कहा है कि इसके बाद एक खास समुदाय के लोग दलितों को लगातार धमकियां दे रहे हैं. ये गंभीर मामला है और डीएम खुद इस मामले की जांच करें.
वहीं गोपालगंज के डीएम को लिखे पत्र में मंत्री ने लिखा है कि कुचायकोट थाने के खानपट्टी गांव में एक रविदास परिवार की लडकी का अपहरण कर लिया गया है. अपहरण में एक खास समुदाय के लोगों का नाम आ रहा है. मंत्री ने डीएम को कहा है कि ये बेहद गंभीर मामला है औऱ इससे महादलित समाज के लोगों के बीच भारी आक्रोश है. डीएम खुद इस मामले की जांच करें औऱ मंत्री को कार्रवाई से सूचित करायें.
नीतीश को कठघरे में खडा कर रही बीजेपी
सवाल ये उठ रहा है कि दलित उत्पीड़न की इन घटनाओं पर मंत्री को डीएम को पत्र लिखने की क्या जरूरत आ पड़ी. अगर पत्र लिखा भी गया तो उसे मीडिया को सौंपने के पीछे मंशा क्या है. सरकार के हर मंत्री की मुख्यमंत्री से हर सप्ताह कम से कम कैबिनेट की बैठक के दौरान तो बात होती ही है. अपहरण से लेकर धर्म परिवर्तन का मामला पुलिस का मामला है. जिसकी कमान नीतीश कुमार के हाथों में है. मंत्री के पत्र से सवाल ये उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के मंत्रियों की बात नहीं सुन रहे हैं जो उन्हें सीधे डीएम को पत्र लिखना पड रहा है. मंत्री के पत्र के ये भी मायने निकल रहे हैं कि पुलिस दलितों के साथ अत्याचार की घटनाओं पर कार्रवाई नहीं कर रही है. तभी डीएम को मामले की जांच का निर्देश देना पड रहा है.
इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी दलितों पर मुसलमानों के जुल्म का मामला उठाया था. संजय जायसवाल ने फेसबुक पर पोस्ट लिख कर कहा था कि बिहार में दलितों पर मुसलमानों का अत्याचार बढ रहा है औऱ पुलिस सही तरीके से कार्रवाई नहीं कर रही है. फेसबुक पर उन्होंने लिखा था कि उन्हें सूचना मिली कि रामगढ़वा के धनगढ़वा गांव में दलित समाज के लोगों के रास्ते को कुछ अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने ईंट की दिवाल बनाकर बंद कर दिया है. विगत कुछ दिनों में इस तरह की घटनाएं काफी बढ़ गई है। शुरुआत ढाका से हुई जहां सहनी फिर नोनिया और उसके बाद पासवान समाज के बरात को न केवल निकलने पर पीटा गया बल्कि जब वे बेचारे पुलिस की मदद मांगने गए तो दंगे के समय के सिद्धांत के तहत दोनों समाज के लोगों पर मुकदमा और गिरफ्तारी का आदेश कर पुलिस ने अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री कर ली. इस तरह की छह से ज्यादा घटनाएं ढाका में देखी गई है और हर बार दोषी के बदले दोनों समाज को जेल भेज दिया गया.
ये घटनाएं अचानक किशनगंज और पूर्णिया जिले में भी बढ़ गई है. प्रशासन को हर जगह चौकसी की जरूरत है. जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस तरह की घटनाओं पर तुरंत संज्ञान लेकर निदान कर दिया जाता है तो भविष्य में स्थितियां हाथ से नहीं निकलती है पर जब जिला प्रशासन एक तरफ खड़ा होकर निर्दोषों को भी दंड देने लगता है तो समाज में बहुत गलत संदेश जाता है.
संजय जायसवाल ने लिखा है कि चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में जिस तरह दलितों पर अत्याचार हुआ है वैसा केवल 1947 के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन दलित कानून मंत्री योगेंद्र नाथ मंडल के कहने पर जो दलित आज के बांग्लादेश में रह गए थे उन पर ही देखने को मिला था.