PATNA: बिहार में किसी भी वक्त विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। चुनाव को लेकर वक्त कम है लेकिन राजनीतिक खेमों में जो पेचिदगिंया हैं वो सुलझ नहीं रही है। महागठबंधन और एनडीए का हाल एक जैसा है। फिलहाल बात एनडीए की करते हैं। बीजेपी और जेडीयू के बीच भी अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। जो खबर हैं उसके मुताबिक सीटों की संख्या को लेकर भी कोई बात नहीं हुई है।
इधर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर चिराग पासवान ने यह डिमांड की है कि बीजेपी को जेडीयू से 1 सीट ज्यादा लड़नी चाहिए। कल बीजेपी खेमे से एक बयान और आ गया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि एनडीए में कोई बड़ा भाई छोटा भाई नहीं है यानि मामला बराबरी का है। अंदरखाने की खबर यह है कि बीजेपी सीएम नीतीश कुमार को बार-बार 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव याद दिला रही है। 2014 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर लड़े थे और सिर्फ 2 सीटें जीत पाए थे। 2019 में बावजूद इसके बीजेपी ने उन्हें अपने बराबर सीट दी और उनके 16 सांसद चुनकर आए जबकि बीजेपी के 17 सांसद चुनकर आए यानि बीजेपी का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा। अब बीजेपी चाहती है कि एनडीए में बिहार चुनाव को लेकर जो बंटवारा हो वो 2019 की तरह हीं हो। यानि बीजेपी-जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर लड़ें।
जेडीयू सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार इसके लिए कतई तैयार नहीं है। बिहार में उनको लेकर जो एक तथाकथित सत्ता विरोधी लहर है उसको बीजेपी ने भी भांप लिया है और नीतीश कुमार भी उसके नुकसान के अंदेशे से सहमे हुए हैं इसलिए नीतीश कुमार को यह डर सता रहा है कि अगर बराबर सीटों पर लड़ें और बीजेपी का स्ट्राइक रेट मुझसे बहुत बेहतर रहा तो भाजपा एक दूसरा पावर सेंटर बन जाएगी, ज्यादा हावी हो जाएगी और नीतीश यह कतई नहीं चाहते। इसलिए वे बराबर सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं है। नीतीश कुमार 2010 और 2015 का विधानसभा चुनाव परिणाम देख चुके हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जेडीयू से कम सीटों पर लड़ी थी और उसका स्ट्राइक रेट नीतीश से बहुत बेहतर था। तब बीजेपी का स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत रहा था। 2015 का विधानसभा चुनाव नीतीश लालू कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े थे। आरजेडी-जेडीयू बराबर सीटों पर लड़ी थी और आरजेडी का स्ट्राइक रेट जेडीयू से बेहतर था। इसलिए नीतीश कुमार स्ट्राइक रेट खराब होने से डरे हुए हैं। वे पंद्रह सालों से बिहार के सीएम हैं और इस बार यह बात लगातार सामने आ रही है कि उनके खिलाफ एक सत्ता विरोधी लहर है इसलिए उन्हें डर है कि स्ट्राइक रेट बेहद खराब रहा तो बहुत भारी पड़ जाएगा। यही वजह है कि नीतीश कुमार किसी भी हाल में बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और कम से कम बराबरी के बंटवारे पर तो कतई तैयार नहीं है।