PATNA: सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दावों की पोल खोलने के लिए अब शायद विपक्षी पार्टियों की जरूरत नहीं है. बीजेपी ने ही नीतीश कुमार के दावों की कलई खोलनी शुरू कर दी है. नीतीश मंत्रिमंडल में बीजेपी कोटे से मंत्री ने कहा है कि उनके विभाग बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है और बगैर पैसा लिये काम ही नहीं किया जा रहा है.
मंत्री ने खोली सुशासन की पोल
नीतीश कुमार की कैबिनेट में बीजेपी के कोटे से मंत्री बने रामसूरत राय ने बड़ा बयान दिया है. रामसूरत राय बिहार के भूमि सुधार और राजस्व मंत्री हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त बिहार के दावों की पोल खोल दी है सोमवार को उन्होंने कहा कि उनके विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है. जमीन की दाखिल-खारिज में खूब मनमानी होती है. बिना प्रॉपर डॉक्यूमेंट्स के ही दाखिल-खारिज करा दिया जाता है. रसूखदार तो पैसे के बल पर अपना काम करवा ले जाते हैं लेकिन आम आदमी पिसता रहता है. उनका काम आसानी से नहीं हो पाता है.
मंत्री ने खोल दी नीतीश की पोल
दरअसल नीतीश कुमार बिहार में भूमि सुधार और विवाद को लेकर ठोस कदम उठाने का लगातार दावा करते रहे हैं. ऑन लाइन दाखिल खारिज यानि म्यूटेशन से लेकर भूमि संबंधी मामलों के लिए लगातार अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये जाते रहे हैं. लेकिन आज मंत्री ने बता दिया कि काम कैसे हो रहा है. मंत्री ने स्वीकार कर लिया कि जमीन से संबंधित मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि वे इसे दूर करेंगे.
विपक्ष को बोलने की क्या जरूरत
अब सवाल ये उठ रहा है कि बीजेपी के रहते विपक्ष की क्या जरूरत है. नीतीश कुमार के दावों की पोल खोलने के लिए बीजेपी ही काफी है. पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने लॉ एंड आर्डर को लेकर गंभीर सवाल उठाये थे. उन्होंने पूर्वी चंपारण की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि जिले में कानून का राज नहीं रह गया है. बीजेपी के एक और वरीय नेता और विधायक संजय सरावगी ने भी बढ़ते अपराध को लेकर सरकार पर सवाल उठाये थे. उन्होंने दरभंगा में दिनदहाड़े बीच बाजार में हुए लूट को लेकर गहरी नाराजगी जतायी थी.
बीजेपी ने नेताओं की नाराजगी उस दौर में सामने आयी जब नीतीश कुमार लॉ एंड आर्डर पर बैठक कर बिहार में कानून का राज होने के दावे कर रहे धे. लेकिन बीजेपी के ही बड़े नेता उनकी पोल खोल रहे हैं. ऐसे में विपक्ष को सरकार के खिलाफ बोलने की क्या जरूरत है.