PATNA : बिहार की चार विधानसभा सीटों पर कल उपचुनाव संपन्न हुए। इसके बाद अब इन सभी सीटों पर एनडीए और महागठबंधन दोनों तरफ से जीत का दावा किया जा रहा है। हालांकि, इस बात की चर्चा तेज है कि ठीक चुनाव के दिन पीएम मोदी का कार्यक्रम होने से कुछ हद तक माहौल परिवर्तित भी हुआ है। जबकि, इस बार लालू यादव के खुद एक्टिव होने से एनडीए की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पिछले बार की तुलना में कम वोटिंग हुई है।
जानकारी के अनुसार, बिहार के अंदर इस बार के चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने भी ताकत लगाई है। लेकिन 2020 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है। इस बार सबसे अधिक 56.21% बेलागंज में, जबकि सबसे कम तरारी में 50.10% वोटिंग हुई है।
चुनाव आयोग के आकड़ों के मुताबिक इस उपचुनाव में 2020 के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। ऐसे में कहा यह भी जा रहा है कि कम वोटिंग का कारण यह भी हो सकता है कि अगले साल विधानसभा का चुनाव है तो लोग इसमें अधिक रुचि नहीं ले रहे हैं। उनकी ऐसी सोच है कि चार विधानसभा सीटों से सरकार की सेहत पर भी कोई असर पड़ने वाला नहीं है। इसलिए बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है।
मालूम हो कि, बेलागंज में इस बार 56.21% वोट लोगों ने डाला है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 61.29 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे। आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र यादव को 46.91 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 32.81 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था। 2020 के मुकाबले उपचुनाव में लोगों ने कम वोटिंग की है। 2015 में भी सुरेंद्र यादव ही यहां से जीते थे।
इस बार उनके बेटे विश्वनाथ यादव चुनाव मैदान में है। जबकि जदयू ने मनोरमा देवी को लड़ाया है। इस बार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है। इमामगंज विधानसभा सीट पर इस बार 51.01% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 58.64 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे। रामगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार 54.02% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में कुल 63.80% मतदान हुआ था. जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह चुनाव जीते थे। तरारी विधानसभा सीट पर इस बार 50.10 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 55.35 फीसदी मतदान हुआ था।
गौरतलब हो कि विधानसभा उपचुनाव में ऐसे तो कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 2020 के मुकाबले इस बार वोटिंग कम हुई है, लेकिन एनडीए खेमा इस बार 2020 के मुकाबले ज्यादा एकजुट है। जबकि प्रधानमंत्री के ठीक चुनाव के दिन दरभंगा में एम्स के निर्माण का शिलान्यास करने और 12000 करोड़ से अधिक की योजना बिहार को तोहफा में देने के बाद महागठबंधन खेमे में बेचैनी साफ है। हालांकि, इनका कहना है इससे कोई समस्या नहीं है।