PATNA : बिहार सरकार ने बैंकों को बिहार के सभी नागरिकों का खाता खोलने का लक्ष्य दिया है। वहीं सभी अकाउंट को अधार और मोबाइल से जोड़ने का निर्देश दिया गया है। कोरोना संकट के बीच पहली बार स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की बैठक के बादउपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने विस्तार से सरकार की योजनाएं बतायी हैं।
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोरोना संकट के बीच हुए लॉकडाउन में बैंकों ने सराहनीय भूमिका अदा की है। उन्होनें कहा कि ये देश भर में खुले जनधन खाते का ही कमाल था कि बिहार सरकार ने संकट के दौरान 14,300 करोड़ रुपये गरीबों के खाते में डाले। डीबीटी( डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) के जरिए बिना किसी बिचौलिए के ये पैसे गरीबों के खाते में पहुंचें। मोबाइल और आधार से खातों के जुड़े होने से ये काम आसानी से संभव हो सका।
सुशील मोदी ने बताया कि बिहार में इस समय 10 करोड़ 12 लाख एक्टिव खाते हैं। 6 करोड़ 98 लाख खाता मोबाइल नंबर से जुड़ा हुआ है जबकि 7 करोड़ 76 लाख खाते अधार से जुड़े हुए हैं। डिप्टी सीएम ने बैंकों को टारेगट देते हुए कहा कि राज्य में हर किसी का अपना खाता हो बैंक इस लक्ष्य को पूरा करें, साथ ही साथ बैंक सभी खातों को आधार और मोबाइल से जोड़ने की प्रकिया में भी तेजी लाएं।
डिप्टी सीएम ने इस दौरान ग्राहक सेवा केन्द्र और बैंक मित्रों के भूमिका की भी सराहना करते हुए कहा कि इन दोनों की भूमिका की राज्य में और भी ज्यादा विस्तार की जरूरत है। बिहार के सभी 44 हजार गावों में उन्होनें इसे खोले जाने की वकालत की । साथ ही डिप्टी सीएम ने गांवों तक बैंकों के ब्रांच खोले जाने पर बल दिया।
इस मौके पर उन्होनें बिहार में आत्मनिर्भर भारत के पैकेज के काम पर भी विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि बिहार सरकार ने बिहार के 12 लाख दुग्ध किसानों को भी केसीसी से जोड़ने का फैसला लिया है। उन्होनें कहा कि बिहार के 75 हजार वेंडरों को चिन्हित किया गया है जिन्हें 10 हजार तक का लोन दिया जाएगा। वहीं 11 लाख 31 हजार किसानों को मॉरिटोरियम की सुविधा दी गयी है। किसानों को 31 अगस्त का समय दिया गया है, इस अवधि तक लोन नहीं चुकाने पर उन्हें किसी तरह का फाइन नहीं चुकाना होगा।