PATNA : एक मृत डॉक्टर को सिविल सर्जन बनाने वाले बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने एक औऱ कारनामा किया है. घूस लेते रंगे हाथों पकड़े गये डॉक्टर को डबल प्रमोशन दिया है. उन्हें पहले सिविल सर्जन बनाया गया और फिर दो ही महीने में स्वास्थ्य विभाग का अपर निदेशक बना दिया है. ये अलग बात है कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करते रहे हैं.
पहले सिविल सर्जन फिर अपर निदेशक
मामला स्वास्थ्य विभाग में अपर निदेशक बनाये गये डॉ रूपनारायण का है. सरकार ने पहले उन्हें अररिया का सिविल सर्जन बनाया था और फिर दो महीने बाद ही उन्हें एक औऱ प्रमोशन देकर बिहार के स्वास्थ्य विभाग में अपर निदेशक बना दिया है. राज्य सरकार ने हाल ही में डॉ रूपनारायण को अररिया के सिविल सर्जन पद से प्रमोट करके पटना स्थित मुख्यालय में तैनात किया है. विपक्षी पार्टियों ने मामले को उठाया है उसके बाद स्वास्थ्य विभाग पर फिर से गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं.
पूर्णिया के अधिवक्ता और कांग्रेसी नेता गौतम वर्मा ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की है और उनसे कार्रवाई की मांग की है. गौतम वर्मा ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में अपर निदेशक बनाये गये डॉ रूपनारायण के खिलाफ घूस लेते रंगे हाथों पकड़े जाने का मामला चल रहा है. मामला 23 साल पुराना है. 1998 में डॉ रूपनारायण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी थे. उस समय ही निगरानी विभाग की टीम ने उन्हें अपने सहकर्मी से 700 रूपये घूस लेते पकड़ा था.
निगरानी विभाग ने उस वक्त डॉ रूपनारायण के खिलाफ मामला दर्ज किया था. घूसखोरी का ये केस अभी भी भागलपुर की निगरानी अदालत में चल रहा है. गौतम वर्मा ने कहा है कि घूसखोरी के आरोपी को स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रोन्नति दे रहा है. जबकि राज्य सरकार ये दावा करती रही है कि भ्रष्टाचार करने वालों को छोड़ा नहीं जायेगा. सरकार ने डॉ रूपनारायण को पहले सिविल सर्जन बनाया और अब अपर निदेशक बना दिया है. गौतम वर्मा ने राज्यपाल से कार्रवाई की गुहार लगायी है.
गौरतलब है कि इससे पहले स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कारनामा सामने आया था. बिहार सरकार ने मृत डॉक्टर को जिले का सिविल सर्जन बना दिया था. मामला सार्वजनिक होने के बाद सरकार की भारी फजीहत हुई थी. अब घूसखोरी के आरोपी को प्रमोट किया जा रहा है. जबकि नीतीश कुमार ने एलान कर रखा है कि घूस लेते पकड़े गये अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया जायेगा.