सरकार में केवल नीतीश का एजेंडा नहीं चलेगा, NDA का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनेगा

सरकार में केवल नीतीश का एजेंडा नहीं चलेगा, NDA का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनेगा

PATNA : विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही सत्ता में वापसी कर ली हो, लेकिन इस बार सरकार का समीकरण बदला-बदला है। जनता दल यूनाइटेड की ताकत से सरकार में कम और बीजेपी का कद बढ़ा हुआ है और यही वजह है कि अब सरकार केवल नीतीश कुमार के एजेंडे पर नहीं चलने जा रही। जी हां, एनडीए सरकार के कामकाज के लिए जल्द ही कॉमन मिनिमम प्रोगाम बनाए जाने की खबर है। सत्ताधारी गठबंधन के अंदर से आ रही खबर के मुताबिक बिहार में विकास की योजनाएं अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत ही होंगी हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय पार्ट 2 का एजेंडा इसमें शामिल रहेगा। 


बीजेपी का एजेंडा होगा शामिल

सात निश्चय पार्ट 2 के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडे को सरकार की कार्यसूची में शामिल कराएगी साथ ही  हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी की तरफ से भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के लिए सुझाव मांगा जाएगा. चारों दलों की सहमति से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की रुपरेखा तय होगी और इसी पर बिहार में एनडीए सरकार काम करेगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में बीजेपी अपने कई एजेंडों को शामिल कर आएगी. बीजेपी की तरफ से 19 लाख रोजगार मुहैया कराए जाने का एजेंडा इस में सबसे ऊपर होगा. नीतीश कुमार बिहार में सरकारी नौकरी को लेकर चुनाव के दौरान ही अपनी असमर्थता जाहिर कर चुके हैं इसके बावजूद बीजेपी बिहार में रोजगार सृजन के लिए सरकार की तरफ से नीति तय कर आएगी. साथ ही साथ दलित उत्थान के लिए जीतन राम मांझी कई एजेंडों को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में शामिल करेंगे, जबकि मुकेश सहनी के तरफ से भी इसमें महत्वपूर्ण बातों को रखा जाएगा। 


2015 में आरजेडी का एजेंडा नहीं चला

साल 2015 में जब महागठबंधन की सरकार बनी थी तब भी नीतीश कुमार का एजेंडा ही सरकार में लागू हुआ था। आरजेडी के ज्यादा विधायकों के बावजूद नीतीश कुमार ने सरकार में लालू प्रसाद यादव का एजेंडा नहीं चलने दिया। लालू ने जब शासन में दखलअंदाजी शुरू की तब नीतीश कुमार की नाराजगी सबके सामने आई थी, बाद में रिश्ते और खराब हुए और साल 2017 में महागठबंधन टूट गया था. लेकिन अब नीतीश कुमार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर सहमत नजर आ रहे हैं. जानकार बता रहे हैं कि नीतीश कुमार खुद चाहते हैं कि केवल जेडीयू ही नहीं बल्कि बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों का एजेंडा भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में शामिल किया जाए.