Bihar Politics: विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर को बड़ा झटका, प्रवक्ता समेत 200 कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा; जानिए.. क्यों छोड़ दिया साथ

Bihar Politics: विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर को बड़ा झटका, प्रवक्ता समेत 200 कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा; जानिए.. क्यों छोड़ दिया साथ

MUZAFFARPUR: बिहार की सियासत में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे प्रशांत किशोर को बड़ा झटका लगा है। अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही जनसुराज पार्टी के प्रवक्ता समेत करीब 200 कार्यकर्ताओं ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर का पुतला भी जलाया।


दरअसल, बीते 22 नवंबर को प्रशांत किशोर तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए MLC प्रत्याशी डॉक्टर विनायक गौतम के चुनाव प्रचार के लिए आयोजित मीटिंग में शामिल होने के लिए मुजफ्फरपुर के चन्द्रहठी पहुंचे थे। बैठक में एक कार्यकर्ता माइक लेकर अपनी राय व्यक्त करना चाह रहा था। प्रशांत किशोर बार-बार उन्हें बैठने के लिए कह रहे थे, लेकिन वह कार्यकर्ता प्रशांत किशोर की बात मानने के लिए तैयार नहीं था। वहां मौजूद लोगों ने बी उसे बैठाने की कोशिश की लेकिन वह किसी की सुन नहीं रहा था। एक बार तो वह स्टेज पर प्रशांत किशोर के सामने भी आ धमका था।


कार्यकर्ता की करतूत को देखकर प्रशांत किशोर ने अपना आपा खो दिया था और गुस्से से लाल हो गए थे। कार्यकर्ता पर बरसते हुए पीके ने कहा था कि यह आजेडी नहीं है, मीटिंग से बाहर निकलो। अनुशासन नाम का कोई चीज नहीं है, पार्टी को राजद बना दिया है। उन्होंने कहा था कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी को आरजेडी नहीं बनाना है। इस दौरान हॉल में मौजूद लोग हैरान रह गए। किसी तरह से उस वक्त तो मामले को रफा-दफा कर लिया गया था लेकिन अब इसका साइड इफेक्ट सामने आ गया है।


प्रशांत किशोर की बातों से आहत होकर जनसुराज पार्टी के प्रवक्ता जावेद अख्तर उर्फ गुड्डू ने शनिवार को दो सौ कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया। पार्टी से इस्ताफा देने के बाद जावेद अख्तर और कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर का पुतला जलाकर विरोध जताया और कहा कि जिस पार्टी में किसी को बोलने तक का अधिकार नहीं वहां रहना किसी भी हाल में उचित नहीं है।


बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान करने वाले पीके उपचुनाव में ही ललचा गए थे और जल्दबाजी में चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए थे, जिसका खामियाजा उन्हें सत्ता के सेमीफाइनल में भुगतना पड़ा था। पीके ने दावे तो बहुत किए थे लेकिन उपचुनाव में ही उनके सभी दावे हवा हवाई हो गए थे।