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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 30 Nov 2024 06:19:23 PM IST
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MUZAFFARPUR: (Tirhut Graduate Election) बिहार में कुछ दिनों पहले विधानसभा की चार सीटों पर चुनाव हुए हैं. चारो सीटों पर जीत हासिल करने के बाद सत्तारूढ़ एनडीए गदगद है. लेकिन एक औऱ परीक्षा सामने है. तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एमएलसी का उप चुनाव हो रहा है. इस चुनाव में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बड़ा दांव खेल दिया है. अब इसके भरपूर आसार दिखने लगे हैं कि प्रशांत किशोर विधानसभा उपचुनाव का हिसाब एमएलसी चुनाव में बराबर कर लेंगे.
5 दिसंबर को होगा तिरहुत स्नातक चुनाव
दरअसल तिरहुत स्नातक क्षेत्र से जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर एमएलसी हुआ करते थे. पिछले लोकसभा चुनाव में वे सांसद चुन लिये गये. इसके बाद खाली पड़ी एमएलसी सीट पर उप चुनाव हो रहा है. 5 दिसंबर को इस सीट पर वोटिंग होनी है. चार जिलों यानि मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली और शिवहर के स्नातक वोटर एमएलसी को चुनने के लिए वोट डालेंगे. कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. इनमें एनडीए की ओर से जेडीयू के अभिषेक झा और महागठबंधन की ओर से आरजेडी के गोपी किशन के साथ-साथ प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी विनायक गौतम भी मैदान में है.
प्रशांत किशोर की मजबूत दावेदारी
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने तिरहुत स्नातक के लिए अपनी पार्टी से विनायक गौतम को प्रत्याशी बनाया है. विनायक गौतम वैसे तो पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन उनकी मजबूत पारिवारिक राजनीतिक विरासत रही है. विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह तिरहुत स्नातक क्षेत्र से कई दफे एमएलसी रह चुके हैं. उनके नाना स्व. रघुनाथ पांडेय अपने दौर में मुजफ्फरपुर और आस-पास के जिलों के सबसे कद्दावर राजनेता माने जाते थे. तिरहुत स्नातक क्षेत्र में कमजोर पहचान वाले जेडीयू और आरजेडी के उम्मीदवार के सामने मजबूत पहचान वाले विनायक गौतम ज्यादा दमदार माने जा रहे हैं.
प्रशांत किशोर का असर
दरअसल, तिरहुत स्नातक क्षेत्र में जो चार जिले आते हैं, वहां प्रशांत किशोर का अपना भी प्रभाव है. ये वो जिले हैं, जहां प्रशांत किशोर पदयात्रा कर चुके हैं. जन सुराज के नेताओं के मुताबिक बिहार में जिन चार सीटों पर विधानसभा उप चुनाव हुआ था वे वैसे इलाके थे जहां प्रशांत किशोर ने पदयात्रा नहीं की है. इसके बावजूद जनसुराज के प्रत्याशी को इमामगंज में 37 हजार तो बेलागंज में करीब 20 हजार वोट आये. तिरहुत का इलाका तो वैसा इलाका है, जहां प्रशांत किशोर हर गांव की खाक छान चुके हैं. लिहाजा इस चुनाव पर प्रशांत किशोर का असर दिखेगा.
जन सुराज पार्टी के नेता 2023 में हुए विधान परिषद के चुनाव का उदाहरण दे रहे हैं. 2023 में सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में प्रशांत किशोर समर्थित उम्मीदवार आफाक अहमद ने जीत हासिल की थी. आफाक अहमद प्रशांत किशोर के साथ पदयात्रा में शामिल थे. सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में जो जिले आते हैं, उसकी यात्रा प्रशांत किशोर कर चुके थे. जन सुराज के नेताओं के मुताबिक प्रशांत किशोर की पदयात्रा का असर था कि एनडीए और आरजेडी ने सारी ताकत लगा दी थी फिर भी आफाक अहमद सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत गए थे.
तिरहुत में कैंप कर रहे हैं प्रशांत किशोर
तिरहुत स्नातक चुनाव में अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए प्रशांत किशोर पूरी तैयारी के साथ डटे हुए हैं. वे न सिर्फ वहां कैंप कर रहे हैं बल्कि सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. शनिवार को प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को शिक्षकों का सबसे बडा दुश्मन करार दिया. उन्होंने कहा कि हम 2 वर्ष से पैदल चल रहे हैं, जितने भी शिक्षक हमसे मिले हैं, उसने अपनी गुहार यही लगाई है कि 10 वर्ष में अगर सबसे ज्यादा किसी ने शिक्षकों को सताया है तो वह नीतीश कुमार की सरकार है. अब क्या चुनाव में शिक्षक अपनी दुर्दशा भूल जाएंगे. डाकबंगला पर उन पर लाठी चली थी, वह भूल जाएंगे.
समीकरण भी पक्ष में
तिरहुत स्नातक क्षेत्र में प्रशांत किशोर के पक्ष में कई तथ्य जुड़ गये हैं. चार जिलों वाले इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जिला मुजफ्फरपुर है. जन सुराज के प्रत्याशी मुजफ्फरपुर के निवासी हैं. दूसरी ओर जेडीयू के प्रत्याशी इस क्षेत्र के किसी जिले के निवासी नहीं हैं. तिरहुत क्षेत्र में स्नातकों के सबसे ज्यादा वोट जिस जाति के हैं, प्रशांत किशोर के उम्मीदवार उसी जाति से आते हैं. स्थानीय जानकार मानते हैं कि प्रशांत किशोर कम से कम 40 से 50 हजार वोट अपने साथ लेकर मैदान में उतरे हैं. उसके बाद वे जितना ज्यादा वोट अपने साथ जोड़ सकें, जीत की संभावना उतनी ज्यादा हो जायेगी.
हालांकि इस चुनाव में आरजेडी से गोपी किशन भी मैदान में हैं. वहीं, चिराग पासवान की लोक जन शक्ति पार्टि रामविलास के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश रोशन भी चुनाव मैदान में हैं, वे पार्टी से इस्तीफा देकर मैदान में उतरे हैं. लेकिन स्नातक क्षेत्र का चुनाव आम चुनाव से अलग होता है. ऐसे चुनाव में प्रत्याशी को हर वोटर तक पहुंचना होता है. तिरहुत स्नातक क्षेत्र में एनडीए और आरजेडी दोनों के प्रत्याशी कहीं न कहीं इसमें कमजोर दिख रहे हैं. खास बात ये भी है कि पार्टी या गठबंधन का संगठन उनके साथ ख़ड़ा नहीं दिख रहा है. लिहाजा उनकी राह और मुश्किल हो गयी है.