बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल: बाल दिवस पर चॉकलेट की जगह बच्चों को थमाया शराब का गैलेन

बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल: बाल दिवस पर चॉकलेट की जगह बच्चों को थमाया शराब का गैलेन

BEGUSARAI: बिहार में सात साल से पूर्ण शराबबंदी लागू है लेकिन ना तो शराब पीने वाले सुधर रहे हैं और ना ही बेचने वाले ही अपनी आदतों से बाज आ रहे है। लोग पकड़े जाते हैं फिर जेल से छूटकर यही धंधा अपनाते हैं। बिहार के बेगूसराय में पुलिस की संवेदनहीनता को दिखाता एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें पुलिस नाबालिग बच्चों से शराब ढुलवाने का काम करवा रही है। बाल दिवस के मौके पर जिन बच्चों के हाथ में चॉकलेट होना चाहिए था उनके हाथ में अर्धनिर्मित महुआ शराब का गैलेन दिया गया। 


कब्रिस्तान की झाड़ियों से निकालने में इन बच्चों को पुलिस ने लगाया था। जब बच्चे महुआ शराब उठाकर ऑटो में रख रहे थे तब वहां पुलिस भी मौजूद थी लेकिन सभी मुकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे थे। जो काम पुलिस वालों को करना चाहिए था वो काम मासूम बच्चों से कराया गया। बिहार सरकार इन पुलिस कर्मियों को अच्छी खासी वेतन और सुविधाएं देती है लेकिन ये अपना काम भी ठीक से नहीं करते। इनकी कामचोरी देखिये कि जो काम इनको करना चाहिए था वो स्कूली नाबालिग बच्चों से इन्होंने करवाया। 


बच्चों से शराब का गैलेने ढुलवाते किसी ने वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया अब यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिससे अब पुलिस प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। इलाके के लोग भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना था कि हमलोगों ने ही पुलिस को सूचना दी कि कब्रिस्तान में शराब की खेप छिपाकर रखी गयी है।


सूचना मिलने पर पुलिस आई तो जरूर लेकिन जो काम उन्हें करना चाहिए वो काम उन्होंने बच्चों से करवाया। बच्चे अर्धनिर्मित शराब का गैलेन उठाकर ई-रिक्शा में रख रहे थे और पुलिस कर्मी खाली हाथ पीछे-पीछे चल रहे थे। अब पुलिस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।     यह वीडियो सिंघौल सहायक थाना क्षेत्र के वार्ड 2 स्थित कब्रिस्तान की है। जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। 


बताया जाता है कि ग्रामीणों ने शराब की सूचना डायल 112 पर फोन करके दी थी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने कब्रिस्तान के कब्र से महुआ शराब बरामद किया लेकिन अर्धनिर्मित महुआ शराब को कब्र से निकालने में स्कूली बच्चों को भी लगाया गया। पुलिस वालों को शायद यह पता नहीं था आज बाल दिवस है। 14 नवम्बर को बाल दिवस के मौके पर जिन बच्चों के हाथों में चॉकलेट होना चाहिए था उसकी जगह बच्चों के हाथ में महुआ शराब की डिब्बा थमाया गया। पुलिस के मौजूदगी में बच्चों से शराब का डिब्बा उठवाया गया। कब्रिस्तान से बच्चे महुआ शराब के डिब्बे को लेकर टेम्पू के पास पहुंचे जहां इन शराब के डिब्बों को टेम्पू में बच्चों ने ही रखा।


शराब के अवैध धंधेबाजों ने कब्रिस्तान में अर्धनिर्मित देशी शराब को छिपाकर रखा था जिसे ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने बरामद कर लिया है फिलहाल शराब के धंधेबाजों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। लेकिन इस दौरान बच्चों से काम भी करवाया गया। बाल दिवस के मौके पर बच्चों से शराब का गैलेन टेम्पू में रखने को कहा गया। पुलिस की संवेदनहीनता पर भाकपा नेता राज्य परिषद सदस्य अनिल अंजान ने कड़ी निंदा की है कहा है कि बाल दिवस के मौके पर जिन बच्चों के हाथों में चॉकलेट दिया जाता है उन बच्चों के हाथ से पुलिस महुआ शराब ढुलाने का काम किया है जो कही से भी उचित नहीं है। 


सिंघौल सहायक थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि इस तरह का काम जिस किसी ने किया है उसे बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने 6 डिब्बों में कुल 90 अर्धनिर्मित देशी शराब को जब्त किया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या मासूम नाबालिग बच्चों से इस तरह का काम करवाना उचित है? जिन पुलिस पदाधिकारी ने ऐसा किया है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। इलाके के लोग भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।