मुख्य सचिव ने दिए निर्देश: योग्य लाभार्थियों को मिले राशन कार्ड, PDS दुकानों की रिक्तियां शीघ्र भरें, Zero Office Day अभियान में सख्ती कैमूर में विवाहिता की संदिग्ध मौत, मायकेवालों ने ससुराल पक्ष पर लगाया जहर देकर मारने का आरोप Bihar: सोनपुर में मनाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन, पौधारोपण समेत कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन Bihar: सोनपुर में मनाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन, पौधारोपण समेत कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन Buxar News: विश्वामित्र सेना ने निकाली ‘सनातन जोड़ो यात्रा’, धार्मिक एकता और आस्था का अनूठा संगम Buxar News: विश्वामित्र सेना ने निकाली ‘सनातन जोड़ो यात्रा’, धार्मिक एकता और आस्था का अनूठा संगम वीरपुर में किसान सम्मान समारोह: संजीव मिश्रा ने सैकड़ों किसानों को किया सम्मानित World Athletics Championship 2025: वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचे नीरज चोपड़ा, पहले ही थ्रो में किया क्वालिफाई World Athletics Championship 2025: वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचे नीरज चोपड़ा, पहले ही थ्रो में किया क्वालिफाई यूट्यूबर दिवाकर सहनी और उनके परिवार के साथ मजबूती के साथ खड़ी है वीआईपी: मुकेश सहनी
1st Bihar Published by: Updated Sat, 23 Oct 2021 09:09:34 AM IST
- फ़ोटो
MUZAFFARPUR : बिहार में कल पंचायत चुनाव के चौथे चरण की मतगणना हुई जिसमें पहले तीन चरणों की तरह ही इस बार भी जनता ने कई दिग्गजों को नकार दिया. इधर पंचायत चुनाव में मंत्री के भाई को भी हार का सामना करना पड़ा. इनके अलावा विधायक की बहु भी जिला परिषद की सदस्य नहीं बन पाई.
आपको बता दें कि बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय के बड़े भाई भरत राय ने मुजफ्फरपुर जिला में बोचहां प्रखंड की गरहां पंचायत से मुखिया चुनाव लड़ा था. लेकिन यहां जनता ने उन्हें नकार दिया. वो जीत के करीब पहुंच कर महज 76 मतों से चुनाव हार गए.
इनके अलावा बोचहां के विधायक मुसाफिर पासवान की बहू भी चुनाव हार गई है. वो जिला परिषद के सदस्य पद का चुनाव हार गईं है. विधायक मुसाफिर पासवान के रिश्तेदारों और समर्थकों को उम्मीद थी कि विधायक की बहू होने के नाते इस बार उन्हें बड़ी जीत मिलेगी, लेकिन जनता ने नकार दिया.
इस बार बिहार पंचतायत चुनाव में सत्ता पर काबिज विधायकों और मंत्रियों को जनता का प्यार नहीं मिल रहा है. गांव की सरकार बनाने में जनता किसी प्रभाव से प्रभावित हुए बिना अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं. यही वजह है कि गांवों की सत्ता पर काबिज माननीयों को जनता एक-एक कर खारिज कर रही.