Bihar Air Pollution: पटना सहित कई जिलों में बढ़ा वायु प्रदूषण, ज्यादातर शहर ‘मध्यम प्रदूषित’ श्रेणी में दर्ज; हाजीपुर सबसे आगे Saharsa accident : सहरसा में फोरलेन पर भीषण टक्कर, एक की मौत, परिवार में मचा कोहराम Bihar News: एशिया के सबसे बड़े पशु मेले में पहुंचे एक करोड़ का 'प्रधान जी', देखने उमड़ी भीड़ Bihar Politics : बिहार विधानसभा के 243 विधायकों के शपथ का इंतजार, स्पीकर पद पर एनडीए में मंथन तेज Fastest Test Century: टेस्ट क्रिकेट में इन बल्लेबाजों ने जड़े हैं सबसे तेज शतक, टॉप-5 में एक और कंगारू की एंट्री SVU Raid Bihar: SVU की बड़ी कार्रवाई, औरंगाबाद उत्पाद अधीक्षक के ठिकानों पर छापेमारी जारी; जमीन निवेश समेत मिले कई दस्तावेज Bihar Crime News: वीडियो कॉल पर प्रेमिका ने किया शादी से इनकार, प्यार में पागल आशिक ने खुद को मारी गोली Bihar election : चुनावी महापर्व के बाद का राजदरबार, तामझाम थमा तो शुरू हुआ कुर्सी-टेबल और हलवाई का हिसाब; अफसर साहब भी हो जा रहे परेशान Bihar Crime News: फ्री फायर गेम खेलने के लिए रिचार्ज नहीं हुआ, तो किशोर ने उठाया खौफनाक कदम, इलाके में मची सनसनी Bihar crime news : नकाबपोश अपराधियों ने घर में घुसकर मां-बेटी पर किया हमला, मां की मौत; जांच में जुटी पुलिस
1st Bihar Published by: Updated Sat, 23 Oct 2021 09:09:34 AM IST
- फ़ोटो
MUZAFFARPUR : बिहार में कल पंचायत चुनाव के चौथे चरण की मतगणना हुई जिसमें पहले तीन चरणों की तरह ही इस बार भी जनता ने कई दिग्गजों को नकार दिया. इधर पंचायत चुनाव में मंत्री के भाई को भी हार का सामना करना पड़ा. इनके अलावा विधायक की बहु भी जिला परिषद की सदस्य नहीं बन पाई.
आपको बता दें कि बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय के बड़े भाई भरत राय ने मुजफ्फरपुर जिला में बोचहां प्रखंड की गरहां पंचायत से मुखिया चुनाव लड़ा था. लेकिन यहां जनता ने उन्हें नकार दिया. वो जीत के करीब पहुंच कर महज 76 मतों से चुनाव हार गए.
इनके अलावा बोचहां के विधायक मुसाफिर पासवान की बहू भी चुनाव हार गई है. वो जिला परिषद के सदस्य पद का चुनाव हार गईं है. विधायक मुसाफिर पासवान के रिश्तेदारों और समर्थकों को उम्मीद थी कि विधायक की बहू होने के नाते इस बार उन्हें बड़ी जीत मिलेगी, लेकिन जनता ने नकार दिया.
इस बार बिहार पंचतायत चुनाव में सत्ता पर काबिज विधायकों और मंत्रियों को जनता का प्यार नहीं मिल रहा है. गांव की सरकार बनाने में जनता किसी प्रभाव से प्रभावित हुए बिना अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं. यही वजह है कि गांवों की सत्ता पर काबिज माननीयों को जनता एक-एक कर खारिज कर रही.