PATNA : बिहार में सरकारी सिस्टम संविदा के सहारे चल रहा है। राज्य सरकार के ज्यादातर विभागों में जो लोग अपनी सेवा दे रहे हैं वह नियमित नहीं बल्कि संविदा के आधार पर कार्यरत हैं। बिहार में संविदा कर्मियों की अच्छी खासी तादाद है और लंबे अरसे से इनकी तरफ से यह मांग होती रही है कि सेवा को नियमित किया जाए। संविदा कर्मियों की मांग को लेकर कई बार आंदोलन भी देखने को मिले हैं। सरकार ने संविदा कर्मियों की मांग के ऊपर कमेटी का गठन किया था। सालों बाद रिपोर्ट आई लेकिन यह केवल झुनझुना ही निकला। संविदा कर्मियों की सेवा बिहार में स्थायी नहीं होगी, इसको लेकर सरकार पहले ही फैसला कर चुकी है। लेकिन ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने संविदा कर्मियों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। नवीन पटनायक सरकार ने तय किया है कि ओडिशा में कोई भी कर्मी संविदा पर कार्यरत नहीं होगा, सबकी सेवा स्थायी होगी।
पटनायक सरकार का बड़ा फैसला
ओडिशा में भी बड़ी संख्या में संविदा पर कर्मी कार्यरत हैं। 57 हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों को अब ओडिशा की सरकार ने स्थायी करने का फैसला किया है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ऐलान किया है कि राज्य के अंदर संविदा नियुक्ति प्रथा का अंत कर दिया गया है। इस घोषणा के साथ ही 57000 से ज्यादा कर्मचारी नियमित किए जाएंगे। इसके लिए सरकार के ऊपर अतिरिक्त बोझ भी आएगा। ओडिशा सरकार को इन संविदा कर्मियों को नियमित करने पर 13 सौ करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा लेकिन इसके बावजूद नवीन पटनायक सरकार में यह बड़ा फैसला किया है। सीएम पटनायक के इस फैसले को उड़ीसा के विकास से के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। आज ओडिशा सरकार की तरफ से इससे जुड़ी अधिसूचना भी जारी हो जाएगी और दिवाली के पहले ओडिशा में संविदा कर्मियों के लिए यह सबसे बड़ा तोहफा है। नवीन पटनायक ने इस फैसले के साथ कहा है कि ओडिशा आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा है।
बिहार में क्या होगा
ओडिशा से ठीक उलट बिहार में संविदा पर काम करने वाले कर्मियों की हालत अभी भी बदतर है। संविदा पर काम कर रहे कर्मी अपने भविष्य को लेकर चिंतित नज़र आते हैं। सरकार ने जिस कमेटी की अनुशंसा के आधार पर संविदा कर्मियों को सुविधाएं बढ़ाई हैं उनमें सरकारी नौकरी के अंदर उन्हें वेटेज देने का मामला शामिल है। लेकिन इसके अलावा उन्हें नियमित करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले दिनों जो अधिसूचना जारी की थी उसके मुताबिक नियमित सेवा के लिए किसी तरह की परीक्षा में संविदा कर्मियों को अधिकतम 25 अंक का वेटेज दिए जाने का फैसला किया गया था। समय-समय पर नीतीश सरकार संविदा कर्मियों का मानदेय भी बढ़ाती है लेकिन नियमित सेवा के मुकाबले यह काफी कम है।
राजनीति में उलझे नीतीश
बिहार में संविदा कर्मियों की हालत और उड़ीसा सरकार के बड़े फैसले को लेकर एक्सपर्ट की राय अलग है। एक्सपर्ट मानते हैं कि नीतीश सरकार इस वक्त बड़े फैसले ले पाने की स्थिति में नहीं हैं। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिशन 2024 में व्यस्त हैं, उनकी दिलचस्पी बिहार से ज्यादा केंद्रीय राजनीति में नजर आती है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश सियासी दांवपेच में खुद को इतना व्यस्त कर चुके हैं कि सरकार के स्तर पर कोई क्रांतिकारी फैसला ले पाएं, इसकी उम्मीद फिलहाल नहीं दिखती। नीतीश को लगता है कि बिहार में सियासी जोड़ घटाव के जरिए उनकी सरकार सुरक्षित है, ऐसे में संविदा कर्मियों या उन जैसे अन्य मसलों पर कोई बड़ा फैसला लेने की आवश्यकता नहीं। एक तरफ जहां ओडिशा का विकास बिना किसी शोर-शराबे के हो रहा है, वहीं बिहार के अंदर सिर्फ और सिर्फ राजनीति देखने को मिल रही है।