फजीहत के बाद टूटी डबल इंजन सरकार की नींद: अब बिना NOC के नहीं होगा बिहार में किसी भी पुल-पुलिया का निर्माण, इस विभाग से लेनी होगी अनुमति

फजीहत के बाद टूटी डबल इंजन सरकार की नींद: अब बिना NOC के नहीं होगा बिहार में किसी भी पुल-पुलिया का निर्माण, इस विभाग से लेनी होगी अनुमति

PATNA: बिहार में बारसात की शुरुआत होने से पहले ही पुलों के टूटने का जो सिलसिसा शुरु हुआ वह अब भी जारी है। पिछले डेढ़ से दो महीने के भीतर राज्य में दर्जनभर से अधिक पुल और पुलिया ध्वस्त हो चुके हैं। लगातार पुलों के टूटने को लेकर बिहार सरकार को खूब फजीहत झेलनी पड़ी। बिहार विधानमंडल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भारी फजीहत झेलने के बाद सरकार की नींद टूटी है और डबल इंजन सरकार ने पुलों के निर्माण को लेकर बड़ा फैसला ले लिया है।


बिहार में लगातार पुलों के गिरने के बाद अब जल संसाधन विभाग ने बड़ा फैसला ले लिया है। जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि बिहार में पुल-पुलिया के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग ने एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाया है। पुल और पुलिया के निर्माण के लिए मानक तय किया गया है। अब तय मानक के अनुरूप ही पुल-पुलिया का निर्माण हो सकेगा।


उन्होंने कहा कि बिहार में अब जल संसाधन के एसओपी पर ही सभी पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाएगा। पुल-पुलिया के स्ट्रक्चर के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना होगा। एसओपी बनने के बाद अब पुल-पुलिया के स्ट्रक्चर डिजाइन के लिए जल संसाधन विभाग से स्वीकृति लेनी होगी। बिना जल संसाधन विभाग के स्वीकृति के बिहार में किसी भी पुल-पुलिया का निर्माण नहीं होगा। अब स्थाई रूप से इस नियम को किया जाएगा।


दरअसल, बिहार में पुलों के टूटने का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी। तेजस्वी यादव के पथ निर्माण विभाग का मंत्री रहते हुए भागलपुर में अगुवानी घाट पर निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गंगा में समा गया था। इस घटना को लेकर उस वक्त विपक्ष की भूमिका में रही बीजेपी ने खूब हंगामा मचाया था। तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के साथ साथ बीजेपी ने निर्माण कंपनी एसपी सिंगला पर भी सवाल उठाए थे।


बिहार में सरका बदली और आरजेडी सत्ता से बाहर हो गई और सत्ता में फिर से बीजेपी की एंट्री हो गई। राज्य में मानसून के एक्टिव होने से ठीक पहले अररिया में बकरा नदी पर निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ध्वस्त हो गया। इस घटना के बाद बिहार में जैसे पुलों के गिरने का सिलसिला ही शुरू हो गया। राज्य के अलग-अलग जिलों से हर दिन पुलों के ध्वस्त होने की खबरें आम हो गईं। अररिया से शुरू हुआ पुलों के गिरने का सिलसिला अब भी जारी है। 


विपक्ष ने बिहार में लगातार पुलों के ध्वस्त होने के मामले को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की। विपक्ष में बैठी तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस ने बिहार विधानमंडल से लेकर संसद तक पुलों के गिरने के मामले को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के साथ साथ एनएचएआई और सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।  ऐसे में फजीहत के बाद अब एनडीए सरकार ने पुलों के निर्माण को लेकर बड़ा फैसला ले लिया है।