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बिहार में निकाय चुनाव पर रोक: बोले मुकेश सहनी- हाईकोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण

1st Bihar Published by: Updated Tue, 04 Oct 2022 07:48:39 PM IST

बिहार में निकाय चुनाव पर रोक: बोले मुकेश सहनी- हाईकोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण

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PATNA : बिहार में निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक के बाद राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई है। विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इसे केंद्र सरकार और बीजेपी की साजिश का हिस्सा करार देते हुए कहा कि जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार आई है तब से आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं। 


सन ऑफ मल्लाह के नाम से पहचाने जाने वाले वीआईपी के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया फैसला अतिपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा को दी जा रही संपूर्ण आरक्षण पूर्व,वर्तमान,भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगता है। देश के अतिपिछड़ा एवं पिछड़ा समाज को भाजपा सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करना होगा, क्योंकि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तब से आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे है? 


पटना उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट से कहा गया है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव वर्तमान पैटर्न पर करने के लिए 'तीन टेस्ट' से गुजरना होगा:- 1-स्थानीय स्तर पर पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की समसामयिक जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना करना 2- आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार चुनाव किये जाने के लिए आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि निचे न गिरे 3- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए।


इसका दुर्गामी परिणाम होगा। इस निर्णय के कारण बिहार सरकार अब कई मामलों में अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को आरक्षण नही दे पाएगी। इसके पहले भी वर्तमान पैटर्न पर चुनाव हुआ तब कोर्ट ने रोक नही लगाया या रोक लगाने की कोशिश नही हुई। आखिर जब भाजपा, बिहार सरकार से अलग हुई तो ऐसा क्यों हुआ?


50% आरक्षण की उच्च सीमा और तीन टेस्ट का सवाल कभी 10% EWS आरक्षण पर कभी नही आया लेकिन OBC/EBC/SC के केस में आता है, क्यों? देश में इंडियन जुडिसियरी सर्विस की शुरुआत होनी चाहिए। अधिवक्ता जनरल, बिहार एवं अन्य विधिय सलाहकार के सलाह पर भी पुनर्विचार करना होगा कि ऐसी नौबत ही क्यों आई? साजिश की बू आ रही है।


इस निर्णय में सभी पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग के सीटों का OPEN करने की बात कही गई है जब तक कि तीनों टेस्ट के आधार पर आरक्षण की संख्या नियत नहीं हो जाती है। जिसमे वर्षों लगेंगे। और तुरंत नगर निकाय चुनाव कराने की भी बात की गई है अर्थात, इस बार बिहार में नगर-निकाय चुनाव बिना आरक्षण का ही होगा। कमंडल की राजनीति के खिलाफ आपसी सभी मतभेद भुलाकर 2024 के पहले सभी अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों को एक होना होगा। बिहार में नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण पर रोक को लेकर शीघ्र ही निर्णायक आंदोलन होगा।