PATNA: बिहार निर्वाचन आयोग ने आज निकाय चुनाव की नई तारीखों का एलान कर दिया। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी शेड्यूल के मुताबिक राज्य में दो चरणों में निकाय चुनाव कराए जाएंगे। इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर निकाय चुनाव पर रोक लगा दिया था। चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद जेडीयू ने कहा है कि बीजेपी ने गलत तथ्यों के आधार पर निकाय चुनाव को रोकने की कोशिश की थी लेकिन चुनाव की तारीखों के एलान के बाद उसका असली चेहरा उजागर हो गया है। वहीं बीजेपी ने कहा है कि बिहार की सरकार निकाय चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई।
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव चल ही रहा था लेकिन बीजेपी के लोगों ने गलत तथ्यों को आधार बनाकर कोर्ट के माध्यम से कोशिश की कि अति पिछड़ों के आरक्षण को समाप्त कर दिया जाए लेकिन थोड़ी बाधा आने के बावजूद सरकार अंततः इस काम में सफल हो गई और निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की नई तारीखों की घोषणा कर दी है। इससे बीजेपी का जो असली चेहरा है वह उजागर हो गया है।उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के रहते अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को जो आरक्षण की सुविधा मिली हुई है बीजपी के लोग चाहे लाख साजिश कर लें यह सुविधा नहीं रूक सकती है।
उधर, बीजेपी ने कहा है कि राज्य की सरकार बिहार में निकाय चुनाव नहीं होने देना चाह रही है। पार्टी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि बिहार में निकाय चुनाव कराने की मंशा राज्य सरकार की नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बावजूद आज निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि जो आयोग ट्रिपल टेस्ट के लिए सक्षम नहीं है, उसके माध्यम से रिपोर्ट बनाना गैरसंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगाने के बावजूद राज्य सरकार किसी भी तरह से इस चुनाव को रोकना चाहती है। यह सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के समान है।