PATNA : विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी में 2 दिनों का मंथन शिविर आयोजित किया था. वैशाली में चल रही पार्टी का मंथन शिविर खत्म हो गया है. बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के साथ-साथ बिहार के दोनों डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी की मौजूदगी में मंथन शिविर के दौरान बीजेपी ने बिहार को लेकर अपनी आगामी रणनीति बनाई है.
नए चेहरों को मौका
बिहार में पुराने चेहरों से किनारा कर चुकी भारतीय जनता पार्टी अब नए चेहरों के साथ सबको चौंकाने की तैयारी में है. बीजेपी ने इसकी शुरुआत सरकार गठन के साथ कर दी थी. जब उसने दो ऐसे चेहरों को डिप्टी सीएम बना दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. इतना ही नहीं कैबिनेट में दिग्गज नेताओं की बजाय नए चेहरों को एंट्री दी गई और अब कैबिनेट विस्तार से लेकर विधानपरिषद तक की सीटों में नए चेहरों को एक बार फिर तरजीह दी जा सकती है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने के लिए सामाजिक समीकरण का बीजेपी ख्याल रखने वाली है. इतना ही नहीं बीजेपी ने चुनाव के दौरान जनता से किए वादों को पूरा करने का जिम्मा बिहार सरकार में शामिल अपने दोनों डिप्टी सीएम के कंधों पर दिया है. तार किशोर प्रसाद और रेनू देवी देवी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह जनता से किए गए बीजेपी के वादों को पूरा करें.
पुराने को किया साइड
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के बाद नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, विनोद नारायण झा जैसे पुराने नेताओं को जिस तरह विधान सभा की समितियों का जिम्मा पार्टी ने दिलवाया है. वह इस बात का बड़ा संकेत है कि बीजेपी अब पुराने चेहरों के ऊपर दांव नहीं लगाने जा रही. बीजेपी में अब नए चेहरों के साथ बिहार में नई राजनीतिक धारा पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. इतना ही नहीं दोनों के मंथन शिविर में संगठन को मजबूत करने बिहार में अपनी ताकत को और बढ़ाने के लिए जीत वाली 74 सीटों के अलावा बाकी विधानसभा सीटों पर पूरा फोकस करने का भी टारगेट दिया है. बीजेपी बिहार में अपनी मात्र संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के साथ मिलकर संगठन को धारदार बनाने की दिशा में काम करेगी. बिहार को लेकर भूपेंद्र यादव ने जो प्लान तैयार किया है बीजेपी उसी रास्ते पर आगे बढ़ चली है.
हाथ पर हुआ मंथन
मंथन के दौरान एक-एक विधानसभा में हार की समीक्षा की गई. इसको लेकर विचार विमर्श भी किया गया. एक बात पर खासतौर से मंथन हुआ कि चुनाव में बागियों और एलजेपी से होने वाले संभावित खतरों को परखने में चूक हुई है. जीत के लिए बनने वाली रणनीति में भी चूक हुई है. जिसके कारण बीजेपी की सीटें कम आई. कई सीटों पर यह भी बात सामने आई की उम्मीदवार चयन में भी चूक हुई है.