PATNA : बिहार में यूं तो नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। नक्सल आंदोलन की धार भी बेहद कमजोर पड़ चुकी है और जो जिले कभी नक्सल प्रभावित हुआ करते थे, आज वहां सब कुछ सामान्य नजर आता है। लेकिन केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के पास जो नई जानकारी पहुंची है वह बिहार में नक्सल समस्या को लेकर कान खड़े कर देने वाली है। दरअसल केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को यह इनपुट मिला है कि बिहार में नक्सलियों को आर्थिक मदद पहुंचाई जा रही है। इस काम में कुछ राजनीतिक दल लगे हुए हैं। इन पॉलिटिकल पार्टियों के जरिए नक्सलियों को फंडिंग की जा रही है और इसकी शुरुआती जानकारी मिलने के बाद एजेंसी आज जांच में जुट गई है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की जानकारी मिली है कि बिहार में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने के साथ ही यहां गुपचुप तरीके से नक्सली मूवमेंट को फंडिंग बढ़ाई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में जांच को आगे बढ़ा रही हैं। नक्सली मूवमेंट को जो लोग गुपचुप तरीके से फंडिंग कर रहे हैं उन पर इन एजेंसियों की नजर है। आपको बता दें कि इस मामले में एनआईए ने पिछले दिनों विजय आर्य और उमेश को रोहतास में दर्ज एक मामले को लेकर गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए नक्सलियों ने एनआईए को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं।
प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी के एक्टिव सदस्य विजय आर्य और उसके सहयोगी उमेश के मुताबिक बिहार में नए सदस्यों की भर्ती के लिए मूवमेंट चलाया गया था। गया और रोहतास जिले में एक्टिविटी हुई थी इसके लिए मोटी फंडिंग भी मुहैया कराई गई थी। इस फंडिंग का इस्तेमाल पर्चे छपवा ने और बाकी नक्सली एक्टिविटी के ऊपर किया गया। जानकारी के मुताबिक के एक बार फिर से लेवी सिस्टम को एक्टिव करने में कुछ लोग लगे हुए हैं कुछ पॉलिटिकल पार्टियां जो बैकअप दे रही हैं उन पर अब एजेंसियों की नजर है।