PATNA : इस वक्त एक बड़ी खबर पटना से सामने आ रही है. कोरोना महामारी के कारण बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो पायेगा. इस महीने 15 जून को खत्म हो रहे वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल के बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है. मंत्रिपरिषद की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी है कि सरकार परामर्श समिति का गठन करेगी.
मंगलवार को नीतीश कैबिनेट की बैठक संपन्न होने के बाद बिहार सरकार में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि "बिहार में पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में बिहार में पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद में परामर्शी समिति का गठन किया जाएगा।"
सरकार के इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल का विस्तार नहीं किया जायेगा. नीतीश सरकार त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को एक्टेंशन नहीं देने जा रही है.
बिहार में कोरोना महामारी के कारण पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में नीतीश सरकार ने बीच रास्ता निकाला है. हालांकि इससे वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को राहत मिल सकती है. क्योंकि सरकार ने जो निर्णय लिया है. उसके मुताबिक पंचायत जनप्रतिनिधियों का एक्सटेंशन तो नहीं होगा लेकिन राज्य सरकार ने बीच का रास्ता निकालेगी.
नीतीश सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया है. अधिनियम के धारा 14, 39, 66 और 92 में संशोधन किया गया है. नया अध्यादेश लाकर वर्तमान जनप्रतिनिधियों को शक्ति देने की योजना है. चर्चा है कि परामर्श समिति में अफसर और वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा.
गौरतलब हो कि वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है. बताया जा रहा है कि जब तक अगला चुनाव नहीं होगा तब तक परामर्श समिति को ही शक्ति दी जाएगी.
इससे पहले चर्चा थी कि नीतीश सरकार पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद अफसरों को पावर देने की तैयारी में है. लेकिन इन अटकलों पर अब विराम लग गया है. गौरतलब हो कि राजद, हम, बीजेपी समेत कई पार्टियों ने सरकार से यह कि वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को ही एक्सटेंशन दे दिया जाये. लेकिन सरकार ने बीच का रास्ता निकाल लिया है. चर्चा है कि परामर्श समिति में अफसरों को भी रखा जायेगा.