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बिहार नगर निकाय चुनाव: राज्य सरकार औऱ निर्वाचन आयोग पर चल सकता है सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस, चुनाव का टलना लगभग तय

1st Bihar Published by: Updated Fri, 02 Dec 2022 07:37:28 AM IST

बिहार नगर निकाय चुनाव: राज्य सरकार औऱ निर्वाचन आयोग पर चल सकता है सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस, चुनाव का टलना लगभग तय

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PATNA : सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नकार कर अपने हिसाब से नगर निकाय चुनाव कराने पर आमदा बिहार सरकार के साथ साथ बिहार राज्य निर्वाचन आयोग पर कोर्ट की अवमानना का केस चल सकता है. इसके साथ ही आनन फानन में घोषित चुनाव का टलना लगभग तय लग रहा है. नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले की ओर से बहस करने वाले वकील राहुल श्याम भंडारी ने फर्स्ट बिहार से बातचीत में केस से संबंधित कई पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला.

ये सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है

नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका में याचिकाकर्ता राहुल श्याम भंडारी ने फर्स्ट बिहार से कहा कि 30 नवंबर को आनन फानन में जारी की गयी चुनाव की अधिसूचना कोर्ट की अवमानना है. 28 नवंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग एक डेडिकेटेड आयोग नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जारी करने में एक टाइपिंग मिस्टेक हुआ औऱ एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन के बदले इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन लिखा गया. लेकिन ये सर्वविदित था औऱ है कि इस मामले में इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन का कहीं कोई लेना देना है औऱ ना बिहार में कोई इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन है. 

वकील राहुल श्याम भंडारी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के मामले में एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन शामिल है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने डेडिकेटेड कमीशन मानने से साफ इंकार कर दिया है. 28 नवंबर के आदेश की टाइपिंग में जो गलती हुई थी उसे सुधार कर 1 दिसंबर को नया आदेश निकाल दिया गया है. उसमें साफ है कि सुप्रीम कोर्ट बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं मानता है. जबकि निकाय चुनाव में आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का कई बार फैसला आ चुका है कि पिछड़े वर्ग को तभी आरक्षण दिया जा सकता है जब राज्य सरकार एक डेडिकेटेड कमीशन बनाये जो राजनीतिक तौर पर पिछड़े वर्गों की पहचान करे और उसकी सिफारिश पर आरक्षण का प्रावधान किया जा सकता है.

वकील राहुल श्याम भंडारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक दिन में राज्य सरकार का निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट सौंपना और उसी दिन निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी कर देना हैरान कर देने वाला वाकया है. बिहार राज्य निर्वाचन आय़ोग ने चुनाव की अधिसूचना में ये तक नहीं जिक्र किया है कि अति पिछ़ड़ा वर्ग आयोग ने कौन सी सिफारिशें कीं औऱ उनके आधार पर कैसे आरक्षण दिया गया. ये भी हैरान करने वाली बात है कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी अधिसूचना में अति पिछडा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड आय़ोग करार दे रहा है. वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट उसे डेडिकेटेड आयोग मानने से इंकार कर दिया है.


सुप्रीम कोर्ट में लगायी गयी गुहार

वकील राहुल श्याम भंडारी ने कहा कि उन्होंने 1 दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने की जानकारी दी थी. इसके बाद कोर्ट ने आवेदन देकर सारे मामले की जानकारी देने को कहा है. वे याचिका दायर करने वाले सुनील कुमार से बात कर जल्द ही कोर्ट के समक्ष आवेदन देंगे. वकील राहुल श्याम भंडारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से बड़ी संस्था कोई और नहीं हो सकती. जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है तब उसे डेडिकेटेड कमीशन बता कर चुनाव की घोषणा करना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. वे कोर्ट के समक्ष इस बात को रखेंगे. 

बता दें कि बिहार में निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 1 दिसंबर को नया आदेश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से निकाय चुनाव पर संकट और गहरा गया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत औऱ जस्टिस जे. के. माहेश्वरी की बेंच ने 1 दिसंबर को बिहार में निकाय चुनाव पर रोक लगाने वाली याचिका में नया आदेश जारी किया है. कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में सुधार किया है. दरअसल कोर्ट ने 28 नवंबर को जो आदेश जारी किया था उसमें कहा गया था कि इकनॉमकली बैकवार्ड क्लास कमीशन (Economically Backward Class Commission) को डेडिकेटेड कमीशन यानि समर्पित आय़ोग नहीं माना जा सकता है. इसको लेकर भ्रम की स्थिति थी. सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश जारी किया है. इसमें साफ किया गया है वह इकनॉमकली बैकवार्ड क्लास कमीशन(Economically Backward Class Commission) नहीं बल्कि एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन (Extremely Backward Class Commission) है. सुप्रीम कोर्ट के 1 दिसंबर के आदेश में कहा गया है- एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जायेगा. यानि बिहार का अति पिछडा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है. 


निकाय चुनाव फिर से टलने की पूरी संभावना

सुप्रीम कोर्ट से इस नये आदेश से ये साफ होता दिख रहा है कि बिहार में निकाय चुनाव फिर से टल सकता है. 30 अक्टूबर को बिहार के राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की जो अधिसूचना जारी की है उसकी लाइऩ ये है-“बिहार सरकार द्वारा गठित समर्पित आय़ोग(डेडिकेटेड कमीशन) यानि अति पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपना प्रतिवेदन दिया है. उसके आधार पर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जा रही है.” यानि बिहार का राज्य निर्वाचन आय़ोग ये कह रहा है कि राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग डेडिकेटेड कमीशन है जबकि सुप्रीम कोर्ट  ने साफ कर दिया है कि वह डेडिकेटेड कमीशन नहीं है.

अब इसका मतलब साफ होता जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव के टलने की पूरी संभावना है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल टेस्ट वाले अपने आदेश में ये स्पष्ट कर चुका है कि राज्य सरकारों को डेडिकेटेड कमीशन बनाकर ये पता लगाना होगा कि कौन सा सामाजिक वर्ग राजनीतिक तौर पर पिछडा है. उसकी रिपोर्ट के आधार पर पिछड़ों को आरक्षण देना होगा. अब जब सुप्रीम कोर्ट ही ये कह रहा है कि बिहार का अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है तो फिर उसकी रिपोर्ट पर आरक्षण की व्यवस्था को कोर्ट कैसे मानेगा.